उत्तराखंड

उत्तराखंड के जंगलों में आज भी धधक रही भीषण आग, 65 साल का बुजुर्ग जिंदा जला

[ad_1]

उत्तराखंड के जंगलों में काफी समय से आग लगी हुई है.

उत्तराखंड के जंगलों में काफी समय से आग लगी हुई है.

Fire in Uttarakhand Forests: उत्तराखंड के जंगलों में आज भी आग धधक रही है. इस आग में अब तक 8 लोग जिंदा जल चुके हैं, तो वाइल्ड लाइफ और मवेशियों की तो गिनती ही नहीं है.

देहरादून. उत्तराखंड से एक बार फिर दु:खद खबर है. यहां ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण क्षेत्र (Gairsain Region) में 65 साल के एक बुजुर्ग की जंगल की आग में जलकर मौत हो गई. गैरसैंण के गडोली गांव निवासी रघुवीर लाल अपने खेतों में गये थे. इस बीच पास के जंगल में लगी आग (Fire in Forests) को देख वह उसे बुझाने चल गये. तेज हवाओं के बीच विकराल हुई आग ने रघुवीर को भी अपनी चपेट में ले लिया और इससे पहले कि कोई मदद को आ पाता उनकी जलकर मौत हो गई. उत्तराखंड में जंगल की आग में जलकर हुई मौतों का ये पहला मामला नहीं है. इस साल अभी तक आग में जलकर आठ लोगों की मौत हो चुकी है.

शुरुआती घटना में अल्मोड़ा में जंगल की आग की चपेट में आकर सास और बहु की मौत हो गई थी. वाइल्ड लाइफ और मवेशियों की तो गिनती ही नहीं है. वन विभाग के रिकॉर्ड में अभी तक मात्र 19 मवेशियों की मौत हुई है, लेकिन ये आंकडा कहीं अधिक है. जंगली जानवरों का तो कोई रिकॉर्ड ही नहीं है. राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से रोज मवेशियों की मौत की आ रही तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती हैं कि वन महकमा मौतों के आंकडें को छुपा रहा है.

Youtube Video

उत्तराखंड में हो चुकी हैं इतनी घटनाएंउत्तराखंड में अभी तक फॉरेस्ट फायर की दो हजार से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. 27 सौ हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र आग की जद में आ चुका है. डेढ़ सौ हेक्टेयर प्लांटेशन एरिया भी आग की भेंट चढ़ चुका है. बारह हजार से अधिक पेड़ जलकर नष्ट हो गए हैं. ये सरकारी आंकड़ा है, जबकि वास्तविकता का आप अंदाजा लगा सकते हैं. वन विभाग के मुताबिक, आग से अभी तक वन संपदा को 71 लाख का नुकसान हो चुका है. वन विभाग का दावा है कि उसने नौ हजार से अधिक मैन पावर आग बुझाने में लगाई है. इसके अलावा 38 जवान एनडीआरएफ और 35 जवान एसडीआरएफ के भी आग बुझाने में जुटे हुए हैं. वन पंचायतों से भी पांच हजार लोग मदद कर रहे हैं. बावजूद इसके जंगल लगातार धधक रहे हैं.

हेलीकॉप्टर भी उतरे मैदान में लेकिन…
वन विभाग ने दो दिन उत्तराखंड में एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी मैदान में उतारे, लेकिन ये प्लॉटिकल एजेंडा ही ज्यादा साबित हुए. कुमाऊं में जंगल की आग से फैले धुएं के कारण चौपर उड़ान ही नहीं भर पाया तो गढ़वाल में दो दिन आग बुझाने का काम हुआ. लेकिन ये कितना सफल रहा, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्हें उसके बाद वापस भेज दिया गया. जंगल आज भी भीषण आग से धधक रहे हैं.





[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *