उत्तराखंड

उत्तराखंड : नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी पर पहली बार 2 भारतीय महिला पर्वतारोहियों ने फहराया तिरंगा

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नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी फतह करने के बाद बेस कैंप लौट आया है पर्वतारोहियों का दल.

नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी फतह करने के बाद बेस कैंप लौट आया है पर्वतारोहियों का दल.

दुनिया की सबसे दुर्गम चोटियों में शुमार है नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की शीतल और पुणे की प्रियंका ने एक साथ अन्नपूर्णा चोटी पर तिरंगा फहराने में सफलता पाई है.

पिथौरागढ़. दुनिया की सबसे दुर्गम चोटियों में शुमार नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी पर पहली बार भारत की 2 महिला पर्वतारोही चढ़ने में सफल हुई हैं. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की शीतल और पुणे की प्रियंका ने एकसाथ अन्नपूर्णा चोटी पर तिरंगा फहराने में सफलता पाई है.

टीम लीडर योगेश गर्बयाल ने बताया कि 6 पर्वतारोहियों का दल 26 मार्च को अपने अभियान पर निकला था. जिनमें 2 महिला पर्वतारोही भी शामिल थीं. इस दल ने 16 अप्रैल को अन्नपूर्णा की चोटी पर पहुंचने पर सफलता पाई. चोटी पर चढ़ने के बाद ये दल बेस कैंप लौट आया है. नेपाल की अन्नपूर्णा चोटी 8091 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अन्नपूर्णा की चोटी ऊंचाई से ज्यादा खतरे वाली है, इसे दुनिया की सबसे खतरनाक चोटियों में एक माना जाता है. पिथौरागढ़ की शीतल के नाम इससे पहले भी दुनिया में सबसे कम उम्र में कंचनजंगा की चोटी पर चढ़ने का रिकॉर्ड है.

दुनिया का 10वां सबसे ऊंचा पर्वत है अन्नपूर्णा

सीबीटीएस संस्था ने पिछले साल ही अन्नपूर्णा पर्वत पर चढ़ने का प्लान बनाया था. लेकिन कोविड के कारण उन्हें अपना अभियान साल भर के लिए रोकना पड़ा. शीतल का कहना है कि वह दुनिया की उन सभी 14 चोटियों पर तिरंगा फहराना चाहती हैं, जो 8 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर हैं. शीतल ने पढ़ाई के साथ ही दुनिया की 3 अहम चोटियों में चढ़ने में सफलता पा ली है. अन्नपूर्णा दुनिया का 10वां सबसे ऊंचा पर्वत है. सीबीटीएस संस्था ने पर्वतारोहण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए इस साल सितंबर में 12 महिला पर्वतारोहियों को भागीरथी चोटी पर चढ़ाने का टारगेट भी लिया है.





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