उत्तराखंड में फुल टाइम हेल्थ मिनिस्टर को लेकर राजनीति तेज, जानें क्या है पूरा मामला
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कांग्रेस संकटकाल में अनावश्यक राजनीति कर रही है. उत्तराखंड में इससे पहले भी फुल टाइम हेल्थ मिनिस्टर रहे हैं. (फाइल फोटो)
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना (Suryakant Dhasmana) का कहना है कि फुल टाइम मिनिस्टर न होने का खामियाजा कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लचर स्वास्थ्य सेवाओं के रूप में जनता को भुगतना पड़ रहा है.
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि फुल टाइम मिनिस्टर न होने का खामियाजा कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लचर स्वास्थ्य सेवाओं के रूप में जनता को भुगतना पड़ रहा है. पूरे देश में जब कोरोना की सेकिंड और थर्ड वेब का हल्ला शुरू हो गया था तो उत्तराखंड तब भी नहीं जागा. अब जब सेकिंड वेब से राज्य में हालात बिगड़ने लगे हैं, तो अब जाकर हाथ पांव मारने की कोशिश हो रही है. कांग्रेस का कहना है कि राज्य हित में एक फुल टाइम हेल्थ मिनिस्टर होना चाहिए. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक सीधे तौर पर हेल्थ मिनिस्टर न होने का कारण तो नहीं बताते, लेकिन कांग्रेस के बयान पर कौशिक का कहना है कि मुख्यमंत्री कोविड को लेकर गंभीर हैं. वे लगातार अधिकारियों की मीटिंग लेकर फीडबैक ले रहे हैं और आवश्यक दिशा निर्देश भी दे रहे हैं. कांग्रेस संकटकाल में अनावश्यक राजनीति कर रही है. उत्तराखंड में इससे पहले भी फुल टाइम हेल्थ मिनिस्टर रहे हैं.
डिपार्टमेंट पर बहुत देर तक फोकस रख सकें
केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक एक टाइम पर उत्तराखंड के हेल्थ मंत्री रहे हैं. सांसद अजय भट्ट भी बीजेपी की अंतरिम सरकार में हेल्थ मिनिस्टर रह चुके हैं. 2017 में बीजेपी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वास्थ्य, लोनिवि जैसे दर्जनों महत्वपूर्ण विभाग अपने ही पास रखे. मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण शुरू हुआ तो भी त्रिवेंद्र रावत ने स्वास्थ्य मंत्री नहीं बनाया. इस बीच इस साल मार्च में सत्ता परिर्वतन ही हो गया. तीरथ रावत मुख्यमंत्री बने. त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री के जो तीन पद खाली थे, तीरथ रावत ने नए मंत्री भी बनाए , लेकिन स्वास्थ्य विभाग फिर भी अपने पास रखा. इस बीच कोविड की सेकिंड वेब से जूझ रहे उत्तराखंड में सोशल मीडिया से लेकर तमाम मंचों पर फुल टाइम हेल्थ मिनिस्टर देने की मांग जोर पकड़ने लगी है. सोशल एक्टिविस्ट अनूप नौटियाल का कहना है कि सरकार को आने वाले समय की गंभीरता को समझते हुए सिर्फ फुल टाइम हेल्थ मिनिस्टर ही नहीं फुल टाइम हेल्थ सेक्रेटरी भी देना चाहिए. जो सिर्फ और सिर्फ हेल्थ पर फोकस कर सके. क्योंकि मुख्यमंत्री के पास चाहकर भी इतना समय नहीं होता कि वे किसी एक डिपार्टमेंट पर बहुत देर तक फोकस रख सकें.
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