केदारनाथ आपदा की बरसी: एक अंधे की आंखों देखी, जिसने खुद के साथ बचाई दूसरे की जान
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केदारनाथ आपदा में 4000 से अधिक लोग मारे गए थे. (PTI)
2013 की 16-17 जून की रात को उत्तराखंड के इतिहास में सबसे भयावह आपदा आया था. इसमें सैकड़ों की लोगों की जान चली गई और व्यापक पैमाने पर संपत्तियों का भी नुकसान हुआ.
रुद्रप्रयाग. वर्ष 2013 की केदारनाथ (Kedarnath) आपदा की आखों देखी आप बीते 8 वषों से सुनते आ रहे हैं, लेकिन इस बार आपको केदारनाथ त्रासदी की आखों देखी ऐसे शख्स की आखों से दिखाने की कोशिश करेंगे जो जन्मजात अंधा है. ताज्जुब की बात यह है कि उस शख्स ने आपदा के दिन केदारनाथ में खुद के साथ दूसरे की भी जान बचाई. वर्ष 2013 की 16-17 जून की काली रात ने उत्तराखंड के इतिहास में वो काला दिन दिखाया जिसे भुलाया नहीं जा सकता है.
देवभूमि में हजारों लोग काल की भेंट चढ़ गये, तो कई लोग जिन्दगी और मौत के बीच हुए इस युद्ध में जीत कर आज भी अपनी जिन्दगी जी रहे रहे हैं. उस भयानक मंजर की आखों देखी बयां करते रहते हैं, लेकिन आपदा के दौरान केदारनाथ धाम में एक शख्स ऐसा भी था जो जन्मजात दिव्यांग था. उनका नाम धर्मा राणा है और उस दिन केदारनाथ में ही मौजूद थे. आखों से भले ही इस शख्स ने कभी जिन्दगी में कुछ न देखा हो, लेकिन उन्होंने जो महसूस किया वह आज भी उन्हें डरा देता है.
खुद के साथ दूसरे की भी बचाई जान
धर्मा ने आपदा के दौरान केवल खुद को नहीं बचाया, बल्कि अपने साथ एक और व्यक्ति को भी जीवनदान दिलवाया. धर्मा बताते हैं कि आप खुद अहसास कर सकते हैं कि बिना आखों के इन्सान ने कैसे उस घड़ी में उस महाआपदा में खुद और अपने साथी को जीवित बाहर निकाला होगा. धर्मा उस मंजर को याद करते हुए कहते हैं कि जिसको ईश्वर का साथ मिल जाए उसे कोई भी नहीं मार सकता. केदारनाथ आपदा के बाद धर्मा की बाबा के प्रति आस्था और बढ़ गई और आज कोरोना महामारी के दौर में भह धर्मा की आस्था बाबा केदार पर बनी हुई है. धर्मा आज भी कोरेाना महामारी से निजात पाने के लिए बाबा के भजन गाते हैं.
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