उत्तराखंड

जंगलों में आग लगने पर कैसे काम आते हैं हेलिकॉप्टर, कैसे बरसातें हैं पानी?

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उत्तराखंड के जंगलों में आग पर काबू (Uttarakhand Fire Fighting) पाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने 12000 वनकर्मियों (Forest Department) को तैनात कर दिया है. 1300 फायर स्टेशन इस काम जुटे हैं. वन विभाग के अफसरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. आग रिहायशी इलाकों (Residential Areas) तक न पहुंचे, इसके लिए निगरानी रखी जा रही है. वहीं, केंद्र भी राष्ट्रीय डिसास्टर राहत फोर्स (NDRF) भेजने को तत्पर है. और भारतीय वायुसेना ने दो Mi-17 हेलीकॉप्टर भेजे हैं. यहां जानने की बात यह है कि ये हेलिकॉप्टर कैसे आग बुझाने में मदद करते हैं.

खबरों की मानें तो उत्तराखंड के जंगलों में कम से कम 40 जगह आग फैल चुकी है. कुमाऊं और गढ़वाल के नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी ज़िले इस आग की चपेट में सबसे ज़्यादा हैं. जानिए कि यहां वायुसेना के Mi-17 हेलिकॉप्टर किस तरह मददगार हो सकते हैं.

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कैसे मदद करते हैं हेलिकॉप्टर?वायु सेना का एक हेलिकॉटर गढ़वाल और दूसरा कुमाऊं क्षेत्र के जंगलों में आग बुझाने का काम कर रहा है. इन हेलिकॉप्टरों की क्षमता 5000 लीटर टैंक की बताई गई है. पिछले कुछ दशकों में जंगलों की या भारी आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर काफी मददगार साबित होते रहे हैं. आग का फैलाव रोकने में भी इनकी भूमिका रही है.

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उत्तराखंड के जंगलों की आग रिहायशी इलाकों तक पहुंचने का खतरा बताया जा रहा है.

यही नहीं, बल्कि जंगल की आग के मामले में हेलिकॉप्टर टीमों और उपकरणों को भी मौके तक पहुंचाने में मददगार होते हैं. आग आगे न फैले, इसके लिए बचाव कार्य में सबसे ज़्यादा उपयोगी इन्हें ही माना जाता है. आग के सिरों पर ये ​हेलिकॉप्टर पानी की बौछार करते हुए आग को आगे बढ़ने से रोकते हैं.

हेलिकॉप्टरों में होते हैं ये सिस्टम
खास तौर से आग से निपटने के लिए हेलिकॉप्टरों में उपकरण लगाए जाते हैं. पानी फेंकने की कई तकनीकें इनमें हो सकती हैं. एक काफी चर्चित रही है बम्बी बकेट, जिन्हें कुछ जगहों पर फास्ट बकेट भी कहा जाता है. इन बाल्टीनुमा उपकरणों के ज़रिये हेलिकॉप्टर हर एक पास से गुज़रते हुए वहां सैकड़ों या ज़रूरत के मुताबिक हज़ार लीटर पानी तक फेंक सकता है. साथ ही, पायलट इन बकेट्स को पास के ही किसी तालाब, झील या नदी से भर भी सकता है.

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फायर अटैक किट क्या है?
यह एक तरह से हेलिकॉप्टर में बाहरी टैंक होता है. इसमें एक पंपिंग हौज़ होता है, जिसे किसी छोटी सी धारा जैसे नज़दीकी जलस्रोत से भरा जा सकता है. हेलिकॉप्टर की क्षमता के अनुसार इसका साइज़ तय होता है.

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कौन से हेलिकॉप्टर होते हैं अनुकूल?
खास तौर से जंगल की आग से लड़ने के मामले में कई तरह के हेलिकॉप्टर इस्तेमाल ​किए जाते हैं. इनमें Astar 350, B2, B3, B3E, B4 और EC120 काफी चर्चित मॉडल हैं. देशों के हिसाब से हेलिकॉप्टरों के टाइप अलग हो जाते हैं. जैसे इटली और ग्रीस में Bells 205, 212, 214 और 412 हेलिकॉप्टर इस्तेमाल होते हैं जबकि भारत में Mi सीरीज़ के.

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भारतीय वायु सेना ने दो हेलिकॉप्टर उत्तराखंड की मदद के लिए भेजे.

कैसे होते हैं मुश्किल हालात?
इन हेलिकॉप्टरों को चूंकि आग के बहुत पास और उसकी लाइन में ही रहना होता है इसलिए कई बार धुएं के कारण दिखाई देने में परेशानी होती है. एक से ज़्यादा हेलिकॉप्टर एक साथ फायर फाइटिंग में हो तो आग और धुएं के चलते सामंजस्य में दिक्कतें होती हैं. आग के फैलाव के मुताबिक कई बार पायलटों को घंटों या फिर दिनों या हफ्तों तक भी जूझना पड़ता है.

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जंगलों की आग बुझाने के लिए तैनात किए जाने हेलिकॉप्टरों को खास तौर से ट्रेंड पायलट ही उड़ाते हैं. साथ ही, इस दौरान पायलटों और हेलिकॉप्टर में तैनात अन्य व्यक्ति के लिए निर्धारित बचाव सूट और कपड़े आदि पहनने की बाध्यता होती है.



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