उत्तराखंड

जंगल की आग को बुझाने के लिए उत्तराखंड पहुंचे 2 हेलीकॉप्‍टर, देखें Video

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कहा जा रहा है कि गढ़वाल में आईएफएस धर्म सिंह मीणा और कुमांऊ में आईएफएस टीआर बिजूलाल (IFS TR Bijulal) नोडल अफसर होंगे.

कहा जा रहा है कि गढ़वाल में आईएफएस धर्म सिंह मीणा और कुमांऊ में आईएफएस टीआर बिजूलाल (IFS TR Bijulal) नोडल अफसर होंगे.

कहा जा रहा है कि गढ़वाल में आईएफएस धर्म सिंह मीणा और कुमांऊ में आईएफएस टीआर बिजूलाल (IFS TR Bijulal) नोडल अफसर होंगे.

देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) के जंगलों में लगी आग कम होने के बजाए विकराल रूप ही लेती जा रही है. इससे वन क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के साथ-साथ सरकार की भी चिंता बढ़ गई है. अब जंगल की आग धीरे-धीरे आबादी क्षेत्रों में भी पहुंचने लगी है. एनडीआरएफ (NDRF) की तैनाती का भी फैसला लिया गया है. साथ ही वन विभाग के सभी अफसरों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं. इसी बीच खबर है कि आग को बुझाने के लिए दो चौपर उत्तराखंड पहुंच गए हैं. कुछ देर बाद आग बुझाने का ऑपरेशन शुरू होगा. इसके लिए अधिकारी भी नियुक्त कर दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि गढ़वाल में आईएफएस धर्म सिंह मीणा और कुमांऊ में आईएफएस टीआर बिजूलाल (IFS TR Bijulal) नोडल अफसर होंगे.

वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई है कि उत्तराखंड में अभी  40 जगहों पर आग लगी है. चौबीस घंटों में ही 63 हेक्टेअर जंगल बर्बाद हो गए हैं. वहीं, आग बुझाने के लिए 12 हजार कर्मचारी जुटे हुए हैं. ‘फायर वॉचर्स’ को 24 घंटे निगरानी रखने को कहा गया है. पंचायत स्तर पर लोगों को जागरूक करके उनसे सूखी झाड़ियां साफ करवाई जा रही हैं. वहीं, महाकुंभ मेला क्षेत्र के बैरागी कैंप में रविवार को एक बार फिर आग लगने से कई झोपड़ियां राख हो गईं. पुलिस ने बताया कि हवा के कारण आग तेजी से फैल रही है. बजरी वाला बस्ती में लगी आग पर काबू पाने में दमकल की छह गाड़ियों को मशक्कत करनी पड़ी.

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जंगल आग की चपेट में आ गए थेजबकि कल खबर सामने आई थी कि गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक आग ने तांडव मचाया है. राज्य सरकार अब आग बुझाने के लिए एयर फोर्स की मदद लेने जा रही है. एयर फोर्स ने राज्य सरकार की रिक्वेस्ट पर दो चौपर देने को हरी झंडी दे दी है. ये चौपर ऑन डिमांड हर समय तैनात रहेंगे. मुख्य वन संरक्षक, फॉरेस्ट फायर मान सिंह का कहना है कि हम ग्राउंड प्लान तैयार कर रहे हैं कि सबसे पहले कहां चौपर को उतारा जाए. कहां से चौपर पानी भरेंगे ताकि रिस्पॉस टाइम कम से कम हो. उत्तराखंड में ऐसा ही प्रयोग 2016 में किया जा चुका है. 2016 में साढे चार हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल आग की चपेट में आ गए थे.







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