बादलों का फटना क्यों हो जाता है इतना हाहाकारी. क्यों होता है ऐसा
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चकराता में फिर बादल फटने की खबर आई है. आखिर क्यों फटते हैं बादल और इससे क्या होता है.
उत्तराखंड में चकराता में बादल फटने की खबर है. एक सप्ताह पहले भी उत्तराखंड के ही उत्तरकाशी में ये प्राकृतिक आपदा आई थी. आमतौर पर बरसात के दिनों में पहाड़ और ऊंची जगहों पर ऐसी घटनाएं अक्सर होती हैं. क्या वास्तव में बादल फटते हैं और अगर ऐसा होता है तो क्या होता है.
पानी के अत्यंत तेज़ बहाव के कारण संरचनाओं और चीज़ों को भारी नुकसान होता है. भारत के लिहाज़ से समझें तो मानसून के मौसम में नमी से भरपूर बादल जब उत्तर की तरफ बढ़ते हैं तो हिमालय पर्वत एक बड़े अवरोधक के रूप में उनके रास्ते में होता है. गर्म हवाओं के टकराने से भी होता है ऐसा नमी से भरपूर बादलों के साथ जब कोई गर्म हवा का झोंका टकराता है, तब भी बादल फटने जैसी घटना हो सकती है. मौसम विज्ञान के हवाले से कहा था कि 26 जुलाई 2005 को मुंबई में जो भीषण बारिश हुई थी, उसके पीछे यही कारण था कि बादल किसी ठोस अवरोधक से नहीं, बल्कि गर्म हवा से टकराए थे.
बादल फटने से उत्तराखंड में तबाही पहले भी होती रही है. फाइल फोटो.
बादल फटने की कुछ बड़ी घटनाएं 2005 में मुंबई की बारिश के अलावा, 18 जुलाई 2009 को पाकिस्तान (Pakistan) के कराची (Karachi) में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी. तब सिर्फ दो घंटे में 250 मिमी बारिश दर्ज हुई थी. 6 अगस्त 2010 को जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) के लद्दाख क्षेत्र के शहर लेह में सिलसिलेवार ढंग से फटे कई बादलों के कारण लगभग पूरा पुराना लेह शहर तबाह हो गया था. इस घटना में 115 लोगों की मौत हुई थी जबकि 300 से ज़्यादा लोगों के घायल होने की खबरें थीं. आखिरकार, 2013 में 16 और 17 जून को केदारनाथ में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी.
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