उत्तराखंड

उत्तराखंड में दायित्वधारियों की हुई छुट्टी, पूर्व CM त्रिवेंद्र रावत को एक और बड़ा झटका

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इस बीच वे त्रिवेंद्र रावत सरकार के कई फैसलों को पलट चुके हैं.(फाइल फोटो)

इस बीच वे त्रिवेंद्र रावत सरकार के कई फैसलों को पलट चुके हैं.(फाइल फोटो)

संवैधानिक पदों पर नियुक्त दायित्व धारियों को छोड़कर सभी को तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश भी मुख्य सचिव (Chief Secretary) के द्वारा जारी कर दिए गए हैं.

देहरादून. त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) सरकार में विभिन्न आयोगों, निगमों और परिषदों में नामित किए गए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सलाहकार सहित कई दायित्वधारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं. इनमें से कई लोगों को कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) स्तर व राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्राप्त था. त्रिवेंद्र  रावत सरकार में 2017 से अभी तक करीब 100 से अधिक लोगों को विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों में नामित किया गया था. संवैधानिक पदों पर नियुक्त दायित्व धारियों को छोड़कर सभी को तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश भी मुख्य सचिव (Chief Secretary) के द्वारा जारी कर दिए गए हैं.

10 मार्च को जब तीरथ रावत सरकार ने शपथ ली थी.  इसके साथ ही इस बात की आशंकाएं जताई जा रही थीं कि किसी भी समय त्रिवेंद्र रावत सरकार में नियुक्त किए गए दायित्व धारियों की छुट्टी की जा सकती है. ताजा आदेश हालांकि एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसे त्रिवेंद्र रावत के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि, विभिन्न आयोगों और निगमों में नियुक्त किए गए अधिकांश लोग त्रिवेंद्र रावत के चहेते लोगों में शामिल थे. करीब 18 लोगों को तो त्रिवेंद्र रावत ने फरवरी के अंत मे दायित्व बांटे थे, जिसके बाद दूसरे ही हप्ते त्रिवेंद्र रावत को सीएम पद से हटने पड़ा था. ये दायित्व धारी अभी अपना पदभार भी ग्रहण नहीं कर पाए थे. तीरथ रावत को सत्ता संभाले अभी बमुश्किल तीन हप्ते का समय हो रहा है, लेकिन इस बीच वे त्रिवेंद्र रावत सरकार के कई फैसलों को पलट चुके हैं.

इन चार सालों में कभी नहीं बनी
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि उत्तराखंड में 2017 में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई बीजेपी में अब चुनाव आते-आते उतने ही प्रचंड तरीके से असहमति के स्वर फूटने लगे हैं. हालांकि त्रिवेंद्र सरकार के सत्ता संभालने के कुछ समय बाद से ही फूटने लगे थे और इसका कारण था त्रिवेंद्र रावत की एकला चलो की नीति. आखिरकार दस मार्च को जब मुख्यमंत्री पद से हटाकर सांसद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई. बदली परिस्थतियों में न सिर्फ मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र रावत के कई फैसलों पर असहमति जताई, बल्कि विधायक मंत्री भी रावत सरकार के कई निर्णयों की खिलाफ बोलते नजर आए. अब श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ मोर्चा खर्च कर दिया है. तीरथ रावत सरकार में कददावार कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत 2017 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने वाले नौ विधायकों में से एक हैं. तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से उनकी इन चार सालों में कभी नहीं बनी.







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