उत्तराखंड

उत्तारखंड में आग बुझाने के लिए कम पड़ रहे कर्मचारी, फॉरेस्ट गार्ड के 2343 पद खाली

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दो सप्ताह से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन जंगल की आग पर अभी तक काबू नहीं पाया गया है.(फाइल फोटो)

दो सप्ताह से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन जंगल की आग पर अभी तक काबू नहीं पाया गया है.(फाइल फोटो)

उत्तराखंड (Uttarakhand) के जंगलों में लगी आग अपने चरम पर है. पीसीसीएफ राजीव भरतरी ने माना है कि बेकाबू हो चुकी जंगलों की आग बुझाने के लिए वन विभाग के पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं.

देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) के जंगलों में लगी आग अपने चरम पर है. पीसीसीएफ राजीव भरतरी ने माना है कि बेकाबू हो चुकी जंगलों की आग बुझाने के लिए वन विभाग के पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं. मानवजनित आग की घटनाओं को रोकना नामुमकिन हो गया है. फिर भी, सीमित कर्मचारियों और एनडीआरएफ के साथ वन विभाग आग पर काबू पाने के प्रयास में जुटा है. हालांकि अगले साल वनाग्नि बेकाबू होने से बचाने के लिए भी वन प्रभागों से प्रस्ताव मांग लिए गए हैं. इस साल नए उपकरणों के लिए 1.19 करोड़ रुपये मिले हैं और इनकी खरीदारी के लिए भी प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं.

पीसीसीएफ राजीव भरतरी बीजे मंगलवार को भवाली स्थित वन विश्राम गृह पहुंचे थे. यहां प्रेसवार्ता में उन्होंने वन कर्मचारियों के साथ एनडीआरएफ की ओर से वनाग्नि को काबू करने के प्रयासों की सराहना की. इस बार पूरे उत्तराखंड में बेकाबू हो चुकी जंगलों की आग पर पीसीसीएफ ने कहा कि, आग प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव जनित है. लोगों की जागरूकता के बिना इसे काबू नहीं किया जा सकता. जंगल की आग से बचाव के लिए उपकरण खरीदने को 1.6 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जहां भी डीएफओ के पास वाहन नहीं हैं, वहां किराये पर वाहन लेने के आदेश भी दे दिए गए हैं.

कई पद खाली
भरतरी बोले कि अल्मोड़ा में फॉरेस्ट गार्ड के 130 पदों में 102 पद खाली हैं। सिर्फ 27 गार्डों से जंगल की आग बुझाई जा रही है. यही हाल दूसरे डिविजनों का भी है, इसलिए कर्मचारियों के बिना आग पर काबू नहीं पाया जा सकता. कर्मचारियों की कमी जल्द दूर करेंगे. भरतरी ने बताया कि यह पहला फायर सीजन है, जहां पत्तियों और आग का फैलाव घटाने को ब्लोवर इस्तेमाल किया जा रहा है. राज्य ने सभी डीएम को आपदा राहत कोष से पांच करोड़ दिए हैं.फॉरेस्ट गार्ड के 2343 रेंजर के 80 पद खाली

राज्य के वन महकमे में कर्मचारियों और अधिकारियों की भारी कमी है. हालांकि कुछ संवर्गों में भर्ती की प्रक्रिया चालू है, लेकिन अधिकारी संवर्ग में कोई विवाद न हो  तो तीन से चार साल में पद भर सकेंगे. हालांकि, फॉरेस्ट गार्ड के 1,218 पदों को दो माह में भरा जा सकता है. क्योंकि इसकी लिखित परीक्षा भी हो चुकी है. शारीरिक परीक्षा होनी है. ट्रेनिंग ज्वाइनिंग के बाद नौकरी के साथ भी करने का प्रावधान है. राज्यभर में फॉरेस्ट गार्ड के 3639 पद हैं. इनमें से 1,296 ही भरे हैं. 1218 पर भर्ती चल रही है. रेंजर के सीधी भर्ती के 154 में 105 और प्रमोशन के 154 में 31 पद खाली हैं. यानी कुल 80 पद खाली हैं.





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