उत्तराखंड

दिल्ली के श्मशान घाटों पर लावारिस पड़ीं कोरोना संक्रमितों की अस्थियां, हरिद्वार में होगा विसर्जन

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दिल्ली के विभिन्न शमशान घाटों से मृतकों के अस्थि अवशेषों को लेकर हरिद्वार प्रस्थान किया.

दिल्ली के विभिन्न शमशान घाटों से मृतकों के अस्थि अवशेषों को लेकर हरिद्वार प्रस्थान किया.

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने तो इंसानियत को खत्म करने का बीड़ा उठा रखा है. कोरोना मृतकों का दाह संस्कार तो बहुत दूर की बातें हैं, परिजन पार्थिव देह को हाथ लगाने से भी भागते नजर आए. कोरोना मृतकों के अस्थि अवशेषों (फूलों) को उनके परिजन लेने ही नहीं आये. ऐसे में अस्थिकलश धूल में पड़े हुए हैं. सनातन परंपरा के अनुसार हरिद्वार, कनखल में सतिघाट पर अस्थि अवशेषों (फूलों) को विसर्जित किया.

नई दिल्ली. दिल्ली में कोरोना (Corona) संक्रमित मरीजों और मौतों (Deaths) का आंकड़ा अब धीरे-धीरे घट रहा है. हर रोज 400 से ज्यादा होने वाली मौतें अब घटकर 200 तक आ चुकी हैं. लेकिन अभी भी कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के बाद उनके अंतिम संस्कार (Cremation) के लिए परिजन और रिश्तेदार सामने नहीं आ रहे हैं. ऐसे लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने से लेकर उनका अस्थि विसर्जन करने के लिए कुछ लोग बिना भय और डर के आगे आकर यह सभी कार्य निरंतर कर रहे हैं. इन लोगों पर ये पंक्तियां “क्या मार सकेगी मौत उसे औरों के लिए जो जीता है, मिलता हैं जहाँ का प्यार उसे औरों के जो आँसू पीता है” सटीक बैठ रही हैं. इनमें एक नाम शाहदरा स्थित शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर के संचालक स्वामी राजेश्वरानंद महाराज का नाम भी शामिल है.स्वामी राजेश्वरानंद महाराज कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार करने के बाद खुद परिवार सहित कोरोना संक्रमित हो गए थे, लेकिन सेवा से पीछे नहीं हटे. कोरोना से युद्ध जीतने के बाद फिर से सेवाकार्यों में जुट गए. संस्थान के सहप्रबन्धक रामवोहरा ने बताया कि”स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज के सान्निध्य में आचार्य राजेश ओझा व सुनील शास्त्री द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण से अस्थिअवशेषो का पंचामृत से अभिषेक किया गया.हरिद्वार प्रस्थान से पहले महन्त धीरज हलचल व कैलाश शर्मा द्वारा सुन्दरकाण्ड का पाठ करने के बाद शिष्यमण्डल के साथ स्वामीजी अस्थिअवशेषो को लेकर हरिद्वार प्रस्थान किया. स्वामी राजेश्वरानंद बताते हैं कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने तो इंसानियत को खत्म करने का बीड़ा उठा रखा है. कोरोना मृतकों दाह संस्कार तो बहुत दूर की बातें हैं परिजन पार्थिव देह को हाथ लगाने से भी भागते नजर आए. कोरोना मृतकों के अस्थि अवशेषों (फूलों) को उनके परिजन लेने ही नहीं आये. ऐसे में अस्थिकलश धूल में पड़े हुए हैं. बस उसी क्षण मन मे निश्चय कर लिया कि इन अस्थिकलशों को हम सनातन परंपरा के अनुसार गंगाविसर्जन करेंगे. विगत वर्ष से अभी तक तीसरी बार कोरोना मृतकों के अस्थिअवशेषों का गंगाविसर्जन किया गया. काफी जद्दोजहद के बाद इस बार दिल्ली के विभिन्न शमशान घाटों से मृतकों के अस्थि अवशेषों को लेकर हरिद्वार प्रस्थान किया. सनातन परंपरा के अनुसार हरिद्वार (Haridwar), कनखल में सतीघाट पर अस्थि अवशेषों (फूलों) को विसर्जित किया जायेगा.
गंगा में अस्थिविसर्जन के बाद इन मृतकों की आत्मिक शांति के लिए हवन यज्ञ व गंगातट पर साधु सन्तों के लिए भण्डारा भी किया जाएगा.







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