पुरुषों में शुक्राणुओं के लिए क्यों खतरा है फोन का ज्यादा इस्तेमाल, नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये तरीकें
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नई दिल्ली. दुनिया भर में पुरुषों में इनफर्टिलिटी (male Infertility) की समस्या बढ़ती जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक 18.6 करोड़ लोग इनफर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता को कमजोर होना) के शिकार हैं. भारत में भी तेजी से पुरुषों में इनफर्टिलिटी बढ़ती जा रही है. लगभग एक दशक से इस मामले में रिसर्च हो रही है. कई अध्ययनों के परिणाम में यह सामने आ चुका है कि टेक-हैवी लाइफस्टाइल पुरुष इनफर्टिलिटी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण कारक है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि मोबाइल फोन, लेपटॉप, वाई फाई, कंप्यूटर यहां तक कि माइक्रोवेव से भी पुरुषों में शुक्राणु (Sperms) प्रभावित होते हैं.
एशियन जर्नल ऑफ फर्मास्युटिकल एंड क्लिनिकल रिसर्च (Asian Journal of Pharmaceutical and Clinical Research) के मुताबिक 15 से 20 प्रतिशत आम आबादी इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रही हैं. भारत में 23 प्रतिशत पुरुष इनफर्टिलिटी से पीड़ित हैं. इतनी बड़ी संख्या में पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होना चिंता का विषय है. इसलिए हमें इनफर्टिलिटी के कारणों को समझना ज्यादा जरूरी है.
मोबाइल, लेपटॉप कैसे इनफर्टिलिटी को बढ़ाते हैं
WHO के मुताबिक जब 12 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने के बावजूद अगर कोई पुरुष पिता नहीं बनता तब इसे पुरुषों की इनफर्टिलिटी कहते हैं. रिसर्च के मुताबिक मोबाइल फोन, लेपटॉप, कंप्यूटर, टेलीविजन, वाई फाई, फोन टावर, रडार आदि से रेडियो तरंगों का उत्सर्जन होता है. इन रेडियो तरंगों के विकिरण (Radiation) शुकाणुओं को कई तरहों से खराब करता है. इससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है. इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता और इसकी संरचना को खराब करने के साथ ही इसके अंदर मौजूद डीएनए को भी नुकसान पहुंचाता है. साथ ही यह शरीर में शुक्राणुओं के लिए जरूरी हार्मोन और एंटीऑक्सीडेंट्स एंजाइम को प्रभावित करता है. एक्सपर्ट के मुताबिक चलती हुई कार में भी फोन का रेडिएशन शुक्राणुओं को प्रभावित करता है. इसलिए अक्सर फोन का इस्तेमाल कम करने की सलाह दी जाती है.
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इन तरीकों से रख सकते हैं स्पर्म हेल्थ का ख्याल
आज के जमाने में फोन, लेपटॉप, कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल न करना मुश्किल है लेकिन कुछ तरीकों से इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. स्पर्म की हेल्थ के लिए आराम बहुत जरूरी है. रात में सात से आठ घंटे की नींद गुणवत्ता वाली शुक्राणुओं के लिए जरूरी है. एक यह भी तरीका हो सकता है कि जब भी आप रात में सोने जाएं तो इसका समय तय कर लें. सोने के समय में बार-बार परिवर्तन भी स्पर्म के लिए सही नहीं है. इससे शरीर की आंतरिक घड़ी अनियमित हो जाता है जिससे मेटाबोलिज्म पर असर पड़ता है. फोन को कहां रखते हैं, इसे भी सही से जानना जरूरी है. पॉकेट में फोन को रखना स्पर्म के लिए बेहद घातक है. इसलिए हमेशा फोन को बैग या हाथ में रखें.
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Tags: Health
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