उत्तराखंड

भर्ती माफिया के खिलाफ कहर बन कर टूटे सीएम पुष्कर धामी

देहरादून। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घपले में पूर्व पीसीसीएफ, uksssc के अध्यक्ष रहे आरबीएस रावत समेत तीन अफसरों को जेल भेज सीएम पुष्कर सिंह धामी भर्ती माफिया के खिलाफ कहर बन कर टूट पड़े हैं। अपने इस कदम से सीएम पुष्कर ने प्रदेश की राजनीति में एक लंबी लकीर खींच दी है। पुष्कर के इस कदम से उनका सियासी कद इस कदर ऊंचा हो गया है कि अब प्रदेश के अन्य बाकि नेता बौने नजर आ रहे हैं।

यह धामी के ही नेतृत्व का करिश्मा है कि पहले अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घपले में 42 से अधिक दोषियों की गिरफ्तारी की और हाकम सिंह जैसे मजबूत राजनीतिक पकड़ वाले भर्ती माफिया को सलाखों के पीछे भेज डाला। उत्तराखंड से लेकर यूपी तक धरपकड़ कर माफियाओं को जेल भेजा गया। मूसा को गिरेबां पकड़ कर उत्तराखंड लाया गया।

अब ताबड़तोड़ कार्रवाई का ये सिलसिला जारी रखते हुए शुक्रवार को मुख्यमंत्री धामी ने बगैर किसी दबाव में आये vpdo भर्ती घपले के दोषियों को गिरफ्तार कर लिया। आरबीएस रावत, मनोहर सिंह कन्याल, राजेंद्र सिंह पोखरिया जैसे मजबूत लोगों को जेल भेज कर धामी ने दर्शाया है कि युवाओं के हितों से वे कोई समझौता नहीं करने वाले चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।

इतना बड़ा साहस दिखाने वाले पुष्कर 22 साल के उत्तराखंड के पहले नेता बन गए हैं। आज तक 22 सालों में किसी भी नेता ने ये साहस दिखाने की हिम्मत नहीं की। यही हिम्मत यदि 2016, 2018 में तत्कालीन नेताओं ने दिखा दी होती, तो आज भर्ती माफिया इस कदर उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ न कर रहे होते।

कब क्या हुआ

-उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा दिनांक 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई

-उक्त परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी

-उक्त परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था

-30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया

-उक्त परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की गई थी

-जांच समिति द्वारा प्रेषित आख्या के आधार पर सम्यक विचारोंप्रांत , एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में उक्त परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण उक्त परीक्षा परिणाम को निरस्त किया गया

-वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं के संबंध में जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को प्राप्त हुई

-वर्ष 2020 में सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून द्वारा खुली जांच में पुष्टि होने पर उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं की पुष्टि होने पर सतर्कता अधिष्ठान देहरादून में मुकदमाअपराध संख्या 01/20 धारा 420/468/467/120B ipc व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोग शासन की अनुमति उपरांत पंजीकृत कराया गया

-अभियोग पंजीकृत होने के बाद वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक उक्त प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा की जा रही थी

-वर्ष 2022 माह अगस्त में माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार उक्त प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई

-एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की गई

-पूर्व में जांच कमेटी द्वारा उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को FSL भेजा गया था एवं FSL से उक्त OMR शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी

-विवेचना के दौरान यह भी पाया गया कि उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग / फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था।

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