यमन विद्रोहियों की दागी मिसाइल से एक बच्चे समेत 13 की मौत : सेना
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दुबई. मारिब शहर के दक्षिण में यमन (Yemen) विद्रोहियों की दागी मिसाइल (Missile) से 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, इसमें एक बच्चा भी शामिल है. इस मिसाइल से यहां के आदिवासी नेता के घर पर हमला (attack) किया गया था. यह जानकारी शुक्रवार को सेना (army) और चिकित्सा सूत्रों ने दी. एक सरकारी सैन्य अधिकारी ने कहा कि यह बैलिस्टिक मिसाइल से किया गया हमला था. आदिवासी नेता शेख अब्दुल लतीफ अल-किबली के घर पर एक बैठक का आयोजन किया गया था और इसमें अन्य नेता भी मौजूद थे. चिकित्सा सूत्रों ने मरने वालों की संख्या की पुष्टि करते हुए बताया कि इनमें एक बच्चा भी शामिल है.
मारिब एक रणनीतिक शहर है जो तेल समृद्ध प्रांत मारिब की राजधानी भी है. प्रांत और शहर का नाम एक जैसा है. यह उत्तरी यमन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार का अंतिम गढ़ है. ईरान समर्थित हुथियों ने फरवरी में शहर पर कब्जा करने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया था और कुछ समय शांत रहने के बाद हाल के हफ्तों में उन्होंने फिर से आक्रमण शुरू कर दिए हैं. इस हफ्ते उन्होंने दावा किया था कि वे मारिब शहर के करीब पहुंच गए हैं और शहर को उन्होंने घेर लिया है.
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सैन्य अधिकारी ने बताया कि मिसाइल हमले में एक बच्चे के साथ चार आदिवासी नेता भी मारे गए हैं. इधर, यमन के सूचना मंत्री मोअम्मर अल-एरियानी ने ट्विटर पर कहा कि इस हमले में आदिवासी नेता क़िबली के दो बेटों सहित कम से कम 12 लोग मारे गए हैं. अन्य लोगों की पहचान नहीं हो सकी है. उन्होंने लिखा है कि हूथी मिलिट्री ने जानबूझकर गांवों और घरों पर बमबारी जारी रखी है, ताकी वह नागरिकों के बीच अधिक से अधिक लोगों को निशाना बना सकें. इससे सैकड़ों परिवारों और विस्थापितों को पलायन करना पड़ा है.
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सऊदी नेतृत्व वाला गठबंधन यमन की सरकार को मदद कर रहा है. वह विद्रोहियों को मारिब शहर तक पहुंचने से रोकने के लिए 11 अक्टूबर से हवाई आक्रमण कर रहा है. गठबंधन के अनुसार हवाई हमलों में मारिब और दो अन्य जिलों से करीब 50 किमी दूर अल-जवबा में 2,000 हूथी लड़ाकों की मौत हुई है. इस बारे में हूथियों की ओर से कोई जानकारी या टिप्पणी सामने नहीं आई है. न्यूज एजेंसी ने भी इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की है. हालांकि सैन्य अधिकारी ने कहा कि अल-जवबा में भीषण लड़ाई हुई है.
यमन का गृहयुद्ध 2014 में शुरू हुआ था, जब हूथियों ने मारिब शहर से 120 किमी दूर पश्चिम में राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद सऊदी के नेतृत्व वाली सेना को सरकार की सहायता के लिए आगे आना पड़ा था. तब से यहां लाखों लोग विस्थापित हुए हैं तो हजारों लोगों की मौत हुई है. इसे संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट कहा है. युद्ध से पहले मारिब शहर में 20,000 से 30,000 नागरिक थे, लेकिन इसकी आबादी सैकड़ों हजार तक पहुंच गई जबकि यमन नागरिक अन्य सीमावर्ती शहरों में भाग गए थे. इस प्रांत में 139 शरणार्थी शिविर है और उनमें करीब 22 लाख लोग रह रहे हैं. यहां के विस्थापित नागरिक एक बार फिर संकट में फंस गए हैं. संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी की माने तो यहां इस साल ही हजारों नागरिक विस्थापित हुए और सितंबर में ही दस हजार नागरिकों ने पलायन किया था. गौरतलब है कि हुथी यमन का अल्पसंख्यक शिया समुदाय है. यमन में सुन्नी जनसंख्या करीब 60 प्रतिशत है जबकि शिया करीब 35 फीसद ही हैं. ये खुद को ‘अंसार अल्लाह’ यानी अल्लाह के समर्थक कहते हैं. जैदी शिया समूह के हैं जो शियाओं का अल्पसंख्यक समूह है. इन्होंने अपने समूह का नाम हुसैन बद्रेददीन उल हुथी के नाम पर रखा है, जिसने 2004 में सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था. इसे सितंबर 2004 में यमन की सेना ने मार डाला था. अब इस समूह का नेतृत्व अब्दुल मलिक अल-हुथी के पास है जो इस आंदोलन को युवाओं के जरिए जारी रखे हुए हैं.
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