क्यों बिहार में भगवान की तरह शराब दिखता तो कहीं नहीं, मगर मिलता है हर जगह!
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पटना. बिहार में पिछले कुछ दिनों से शराबबंदी कानून (Liquor Prohibiton Law) को लेकर घमासान मचा हुआ है. इस समय बिहार में सड़क से लेकर सदन तक शराबबंदी कानून की ही चर्चा हो रही है. मंगलवार को विहार विधानसभा (Bihar Assembly) के चालू सत्र के दौरान शराब की खाली बोतलें विधानसभा परिसर में मिलने से हंगामा शुरू हो गया. चार दिन पहले ही शराबबंदी को लेकर शपथ दिलाई गई थी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इस घटना पर गहरी नारजगी जाहिर की है. नीतीश कुमार ने साफ शब्दों में कहा है कि यह बर्दाश्त से बाहर है और इसकी जांच की जाएगी. बाद में राज्य के मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी तक शराब की बोतलें ढूंढ़ने में लग गए. इस घटना पर राष्ट्रीय जनता दल ने कहा है कि इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. वहीं, बीजेपी और जेडीयू ने कहा कि यह आरजेडी की साजिश है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि नीतीश सरकार की इतनी सख्ती के बाद भी बिहार में क्यों धड़ल्ले से शराब बिक रही है? क्यों इतने साल बीत जाने के बाद भी इस पर नकेल नहीं कसा जा सका है?
बिहार में पिछले छह सालों से पूर्ण शराबबंदी है, मगर इसकी हकीकत को व्यक्त करने के लिए लोग अक्सर एक मजेदार व्यंग्य करते हैं. ‘बिहार में भगवान की तरह शराब दिखता कहीं नहीं है मगर मिलता हर जगह है’. बिहार के करीब से जानने वाले पत्रकार सुनील पांडेय कहते हैं, ‘राज्य सरकार की कथित सख्ती के बावजूद बंदी लागू होने के दिन से ही शराबबंदी माखौल बना हुआ है. केवल एक बदलाव आया है कि शराबखोरी के लिए अब आपको ज्यादा खर्च करने होंगे और इसके एवज में आपको होम डिलीवरी की सेवा उपलब्ध होगी. जाहिर है पैसों वालों के लिए इस शौक को पूरा करना कोई मुशिकल नहीं हो रहा है. मगर गरीबों को इस शाही शौक को पूरा करने में अपनी जान गंवानी पड़ रही है. शराब के नाम पर नकली शराब और मिलावटी जहरीली शराब की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. नतीजा हुआ कि इस साल दशहरा, दिवाली और छठ के दौरान प्रदेश के कई हिस्सों में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और कई अंधे हो गए.’
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बिहार में शराबबंदी कानून का सच
बता दें कि हाल के कुछ घटनाओं के बाद सरकार और सख्त हो गई है. पटना सहित बिहार के सभी जिलों में शराब को लेकर हलचल तेज हो गई. शराबबंदी को पूर्णरूप से लागू करने में लगी तमाम एजेंसी को लेकर बैठकों का दौर चल रहा है. पिछले दिनों ही शराबबंदी को माखौल बनाने में महती भूमिका निभाने वाले सभी पुलिसकर्मियों को शपथ दिलाया गया. साथ में जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों ने भी शपथ लेकर इस कोरम को पूरा किया.
पिछले दिनों शराबबंदी को लेकर दिलाई गई थी शपथ
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद अपने मंत्रिमंड़ल के सदस्सों को शपथ दिलाई और यह बताने की भरसक कोशिश की गई कि इस बार की शपथ लेने के बाद शराबबंदी वास्तव में लागू होगी. सरकार अपनी प्रशासनिक अमले को दुरूश्त करने में जुट गई है. ताबड़तोड़ बैठकें हुई. इसी कड़ी में बिहार कैडर के चर्चित सख्त मिजाजी आईएस अफसर केके पाठक को मद्ध निषेध विभाग का प्रमुख बनाया गया.
पटना में विभाग की कमान संभालने के बाद बैठक करते सीनियर आईएएस अधिकारी केके पाठक
सख्त अधिकारी के आने के बाद क्यो होगा
केके पाठक अपनी सख्त रवैए और परिणाम देने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं. विभाग की जिम्मेदारी मिलते ही उन्होंने अपनी मंशा व्यक्त कर दी. पाठक, सचिव स्तर के बिहार सरकार के इकलौते पदाधिकारी हैं जिन्होंन पब्लिक में अपना व्हाटसप नम्बर 9473400600 जारी किया और भरोसा दिया कि गोपनीयता बरतते हुए आप उनतक शराबखोरी में जुटे लोगों की सूचनाएं पहुंचाएं. सूचना मिलते ही सरकार उनसे निपट लेगी.
विधानसभा के परिसर में कौन शराब ले गया?
मंगलवार को विहार विधानसभा के परिसर में शराब की बोतलें मिलने के बाद जमकर हंगामा हुआ. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की. सदन के बाहर भी तेजस्वी यादव ने शराबबंदी के मसले पर सरकार को घेरा और कहा कि यह कानून पूरी तरह विफल है. शराबबंदी के नाम पर पुलिस प्रशासन आम लोगों को प्रताड़ित कर रही है.
बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने अपने साथ-साथ मंत्रियों और अधिकारियों को शराब नहीं पीने की शपथ दिलाई.
क्या कहते हैं जानकार
स्तम्भकार और स्वतंत्र लेखन से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडये कहते हैं, ‘शरारबबंदी गैर व्यवहारिक, व्यर्थ अवधारणा पर आधारित यह निर्णय असफल होने के लिए वाध्य है. बिहार सरकार, गुजरात सरकार से इस बात को सीख सकती है. गुजरात में भी शराबबंदी है मगर कुछ छूट के साथ. कुल मिलाकर नियमन के साथ शराबखोरी पर नियंत्रण किया जा सकता है. अब यह सरकार तय करे कि नियमन की सीमा और सजा क्या होगी.’
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वहीं, सामाजिक चिंतक डीडी यादव कहते हैं, ‘यह बिहार सरकार की भूल है. इतिहास गवाह है कि विश्व में कहीं भी, कभी भी पूर्ण शराबबंदी सफल नहीं हुई है. बिहार सरकार की इस शराबबंदी का खामियाजा गरीबों को भूगतना पड़ रहा है. नशे की लत में पड़े यहां के गरीब मिलावटी और जहरीली शराब पीने को विवश हैं. नतीजा है कि सैकड़ों की जान चली गई. ऐसे में सरकार को अपनी जिद्द पर फिर से सोचने की जरूरत है.’
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Tags: Bihar News, Chief Minister Nitish Kumar, Illegal liquor, Liquor Ban, Liquor Mafia, Wine
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