Kasganj: अल्ताफ की मौत को लेकर HC सख्त, कब्र से शव निकालकर दोबारा पोस्टमार्टम का दिया आदेश, जानें मामला
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कासगंज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी के कासगंज में बीते 3 महीने पूर्व 22 साल के अल्ताफ (Altaf) नाम के एक युवक की हिरासत में हुई मौत मामले में सख्त रुख अपनाते हुए दोबारा पोस्टमार्टम करने का आदेश जारी किया है. दरअसल पिछले साल 9 नवंबर को कासगंज पुलिस की हिरासत में अल्ताफ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. पुलिस ने उसकी मौत को आत्महत्या बताया था. इसके साथ पुलिस ने बताया था कि उसने लॉकअप के टॉयलेट में अपने हुड के नाड़े का गले में फंदा बनाकर तीन फीट ऊंचाई पर स्थित पानी के प्लास्टिक पाइप से लटककर आत्महत्या कर ली थी. जबकि मृतक के पिता ने पुलिस पर अपने बेटे की हत्या का आरोप लगाया था. हालांकि मामले का संज्ञान लेते हुए कासगंज एसपी रोहन पी बोत्रे ने संबंधित पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई भी की थी.
वहीं, मृतक अल्ताफ के पिता चांद मियां शुरू से ही पुलिस द्वारा पेश की गई आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल उठाते हुए मामले की जांच सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे थे. कोई सुनवाई न होने के बाद मृतक अल्ताफ के पिता ने अपने बेटे की पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत का मामला तथ्यों के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने उठाया. इलाहाबाद हाईकोर्ट से मृतक युवक के पिता चांद मियां ने यह मांग की थी कि उसके बेटे अल्ताफ का जो पोस्टमार्टम किया गया है उस रिपोर्ट पर उन्हें विश्वास नहीं है, इसलिए कासगंज जिले से बाहर दिल्ली एम्स के डॉक्टरों से उनके बेटे के शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश जारी किया है कि याचिकाकर्ता अपने बेटे की पुलिस हिरासत में मौत के बाद किए गए पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं है, इसलिए कासगंज पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में मृतक के शव को कब्र से खोदकर तुरंत निकाला जाए. वहीं, शव निकलने के बाद उसे सील करके अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली ले जाया जाए, जहां निदेशक द्वारा गठित डॉक्टरों की एक टीम की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराया जाए. कब्र से शव निकालने से लेकर पोस्टमार्टम की पूरी प्रक्रिया की हाई रेजुलेशन फोटो और वीडियोग्राफी करके उसे संरक्षित कर एक प्रति न्यायालय में प्रस्तुत की जाए. इसके साथ हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को आदेश जारी होने के दिन से अगले 10 दिनों की अवधि में पूरा कर लिया जाए.
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