Opinion: सुषमा स्वराज को याद कर भावुक हुए पीएम नरेन्द्र मोदी
[ad_1]
पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों की गहमा गहमी के बीच भी पीएम नरेन्द्र मोदी पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ( Sushma Swaraj) को नहीं भूले. पहले उत्तर प्रदेश के कानपूर देहात और फिर पंजाब में एक बड़ी चुनावी सभा को संबोधित कर लौट रहे पीएम मोदी ने सुषमा स्वराज को भावभीनी श्रद्धांजली देते हुए सोशल मीडिया पर एक ऐसी कहानी साझा की जिससे न सिर्फ सुषमा स्वराज की गरीमापूर्ण सार्वजनिक जीवन का बखान था बल्कि उनके गांव बडनगर में रह रहीं उनकी माताजी की दृढ इच्छाशक्ति का वर्णन भी. पूरा वाकया ये साबित कर रहा था महिला सशक्तिकरण को लक्ष्य बनाने की प्रेरणा पीएम मोदी को कहां से आयी.
पीएम मोदी की फेसबुक पोस्ट
पीएम मोदी ने लिखा कि जालंधर से सभा कर के लौट रहा हूं. और आज सुषमा जी का जन्मदिन भी है. इसलिए अचानक ये वाकया याद आ गया. पीएम ने लिखा कि 25 साल पहले जब वो बीजेपी में सिर्फ संगठन का काम करते थे और सुषमाजी गुजरात में चुनावी दौरे पर थीं. वो मेरे गांव में मेरे घऱ जाकर मेरी मां से मिलीं थीं. उस समय पीएम मोदी के परिवार में उनके भतीजे के घर एक बेटी का जन्म हुआ था.
ज्योतिषी लोगों ने नक्षत्र देख कर उनसका नाम निकाला और फइर नाम तय हुआ. घर वालों ने भी तय कर लिया कि वही नाम रखेंगे. लेकिन सुषमनाजी से मुलाकात करने के बाद मेरी मां ने तय कर लिया कि बैटी का नाम सुषमा ही रखा जाएगा. मेरी मां बहुत पढी लिखी तो नहीं लेकिन विचारों से बहुत आधुनिक है. और उस समय जिस तरह से उन्होने अपना निर्णय सुनाया वो मुझे आज भी याद है. आज सुषमाजी की जयंति पर उन्हें नमन.
एक ही दिन जन्मदिन और वेलेंटाइन डे
सुषमा स्वराज पूरे बीजेपी परिवार की दीदी थीं. छोटा हो या बड़ा सब उन्हें सुषमा दीदी के नाम से पुकारते थे. दरअसल सुषमा स्वराजजी का जन्मदिन ही एक ऐसे दिन यानि 14 फरवरी को पड़ता था जब पूरी दुनिया वैलेंटाइन दिवस के रुप में मनाती है. साल में सिर्फ दो ही मौके आते थे जब सुषमा स्वराज के घर के दरवाजे पूरे दिन सबके लिए खुले रहते थे. उनमें से एक दिवाली का अवसर होता था और दूसरा उनका जन्मदिन. जो भी पहुंचे बिना मिठाई और आशीर्वाद के उनके घर से नहीं जाता था. अगर किसी ने उन्हैं जन्मदिन के दिन हैप्पी वेलेंटाइन डे कहा तो वो जोर से हंसा करती थीं और कहतीं थी कि भाई मुझे जन्मदिन की ही शुभकामना दो ये अंग्रेजों वाले नहीं.
1999 में 8 सफदरजंग लेन में अपना आशियान बनाने के बाद सुषमा स्वराज ने कभी भी उस घर को नहीं छोड़ा. पीएम मोदी के पहले मंत्रीमंडल में वो विदेश मंत्री बनीं भी तो टाइप 8 घर में नहीं गयी. अपने इसी टाइप 7 बंगले में ही रहना पसंद किया और कहा कि मेरा काम इसी घर में ठीक चल रहा है तो फिर इससे बडे घर की जरुरत क्या है. पूर 20 साल एक ही घर में रहने के बाद उन्होने साल 2019 मे ये घर छोड़ा. बीजेपी के शीर्ष नेता लाकृष्ण आडवाणी अक्सर कहा करते थे कि वो अटलजी की वाणी के अलावा सुषमा स्वराज ही एक ऐसी वक्ता थी जो सब पर छाप छोड जाती थीं.
पीएम मोदी का नमन पूरी नारी शक्ति के लिए
दरअसल पीएम मोदी का ये नमन पूरी नारी शक्ति के लिए है. बतौर सीएम भी महिला सशक्तिकरण की वकालत करने वाले पीएम मोदी ने यहां अपनी मां की इच्छाशक्ति ही नहीं बल्कि इस बात को भी बखूबी जाहिर किया कि जब वो सिर्फ संगठन का काम करते थे तब के दौर में भी सुषमाजी उनके गांव वडनगर के घर जाकर उनकी मां से मिली. ये मां और परिवार का ही असर था कि बतौर मुख्यमंत्री बचायी गयी अपनी पूरी सैलरी पीएम ने लड़कियों की शिक्षा के लिए दान कर दीं. बतौर पीएम भी उन्होने बेटी बचाओ बेटी पढाओ, साक्षरता, सेल्फ हेल्प ग्रुप, महिलाओं का बैंक खाता खोलना और पैसा सीधा खाते में डालना, तीन तलाक से अल्पसंख्यक महिलाओं को छुटकारा दिलाना, जैसे अनेकों काम है जिन्हे उनके 8 साल के कार्यकाल में प्रमुखता से कार्यान्वित किया गया है.
तभी तो पीएम मोदी ने बिहार के चुनावों के दौरान कहा था कि उन्हें चुनाव साइलेंट वोटरों ने जिताया है और वो हैं यहां की महिला वोटर. और आज सुबह भी कानपुर देहात की अपनी रैली में पीएम मोदी ने इन्ही साइलेंट वोटरो से एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने की अपील की. फिर देर शाम अपनी मां और सुषमा स्वराज को याद कर पीएम मोदी ने जाहिर कर दिया कि महिला शक्ति का उनकी नीतियों और निर्णयों पर कितना असर पड़ा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Pm narendra modi, Sushma Swaraj
[ad_2]
Source link