Russia-Ukraine Conflict: पंजाब पर भी पड़ सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, भारी मात्रा में शिपमेंट भारत में अटके
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चंडीगढ़. रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) की बीच छिड़ी जंग के कारण पंजाब के निर्यातकों (Punjab exporters) का दोनों देशों को (यूक्रेन और रूस) भेजे जाने वाले शिपमेंट अब भारत में ही फंस गए हैं, जिससे उन्हें काफी नुकसान होने का अंदेशा है. निर्यातक दोनों देशों और कुछ राष्ट्रमंडल देशों (Commonwealth countries) को नए ऑर्डर भेजने के लिए प्रतीक्षा और निगरानी मोड में हैं. पंजाब स्थित निर्माता रूस और यूक्रेन को प्लास्टिक, रबर, वस्त्र, होजरी, उर्वरक, कृषि उपकरण, मचान और हाथ के औजारों का निर्यात करते हैं.
दि ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि संघर्ष का न केवल इन दोनों देशों में बल्कि अन्य देशों में भी हाथ के औजारों के निर्यात पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. एक अन्य निर्यातक ने कहा कि व्यापार पर प्रभाव की मात्रा युद्ध की अवधि पर निर्भर करेगी, जो माल की आवाजाही और भुगतान दोनों को प्रभावित करेगी. वर्तमान संकट देश के निर्यात को प्रभावित करेगा क्योंकि पश्चिम देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं.
वित्त वर्ष 2022 के पहले नौ महीनों में 2.5 बिलियन डॉलर के निर्यात और 6.9 बिलियन डॉलर के आयात के साथ रूस भारत का 25 वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. जबकि इस वित्त वर्ष में अब तक यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय व्यापार 2.3 अरब डॉलर का है.
केजी एक्सपोर्ट्स के एमडी हरीश दुआ ने कहा कि युद्ध की लहर भारत में पहले से ही महसूस की जा रही है. उदाहरण के लिए, फ्रांस के लिए बाध्य एक परिधान शिपमेंट को खरीदार द्वारा होल्ड पर रखने के लिए कहा गया है क्योंकि अभी अनिश्चितता का माहौल है. खरीदारों द्वारा अनिश्चितता के बीच शिपमेंट को रोकने के लिए सूचित किया गया है. एक या दो दिन में यह स्पष्ट हो जाएगा कि कितनी खेप या तो रोक दी गई या रद्द कर दी जाए.
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निर्यातकों को यह भी डर है कि अगर रूस पर व्यापक प्रतिबंधों की घोषणा की जाती है तो यह निर्यात प्रभावित हो सकता है. संघर्ष के बीच ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम ने प्रधानमंत्री से रूस और यूक्रेन के साथ व्यापार करने वाले उद्योगों के वित्तीय हितों का ध्यान रखने का अनुरोध किया है. युद्ध के कारण निर्यातकों को माल के भुगतान में देरी का सामना करना पड़ सकता है. जिन लोगों ने लेटर ऑफ क्रेडिट जारी किया है, उन्हें देरी के कारण नुकसान हो सकता है.
ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम ने प्रधान मंत्री से रूस और यूक्रेन के साथ व्यापार करने वाले उद्योगों के वित्तीय हितों का ध्यान रखने का अनुरोध किया है. फोरम ने केंद्र से अनुरोध किया है कि इन देशों को निर्यात के खिलाफ विलंबित भुगतान के बराबर बैंकों से अतिरिक्त ऋण की अनुमति देकर उन्हें मुआवजा दिया जाए.
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