उत्तराखंड

विधवाओं को उनके हाल पर छोड़ देने को कानून के तहत दंडनीय बनाया जाना चाहिये: एनएचआरसी प्रमुख

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नयी दिल्ली. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने मंगलवार को निराश्रित विधवाओं की दुर्दशा को दूर करने लिए उनके संपत्ति अधिकारों की बहाली का आह्वान किया और कहा कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना कानून के तहत दंडनीय बनाया जाना चाहिए.

वह मथुरा, वृंदावन और वाराणसी में आश्रय गृहों में रहने वाली विधवाओं के मानवाधिकार मुद्दों पर एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. उन्होंने मथुरा, वृंदावन और वाराणसी में विधवाओं की निर्वाह की स्थितियों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विधवाओं की दुर्दशा को दूर करने और उनके सम्मानजनक जीवन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उनके संपत्ति के अधिकारों को बहाल करने की आवश्यकता है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी एक बयान में उनके हवाले से कहा गया, ’’विधवाओं को उनके हाल पर छोड़ने को कानून के तहत दंडनीय बनाकर इस प्रथा को खत्म करने में मदद मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि बेसहारा विधवाओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जातीं, जिसके परिणामस्वरूप उनके भोजन, आश्रय, सम्मान और संपत्ति के अधिकार सहित उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है. ऐसे में सरकारी अधिकारियों को कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.

मिश्रा ने कहा कि विधवाओं के लिए विभिन्न आश्रय गृहों की जमीनी हकीकत का जल्द से जल्द आकलन करने की जरूरत है.

एनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि निराश्रित विधवाओं के कल्याण के लिए योजनाएं बनाना तब तक पर्याप्त नहीं है जब तक उनका उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं किया जाता. साथ ही कहा कि आजीविका के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके कौशल के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे News18Hindi टीम ने संपादित नहीं किया है.)

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