उत्तराखंड

अफगान लड़कियां सेक्स स्लेव बना बेची गईं, खराब खाना बनाने पर महिला को लगाई आग: ये है तालिबान के वादों का सच

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नई दिल्ली. तालिबान के आश्वासन के बावजूद कि वे अफगान महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे और उन्हें काम करने एवं इस्लाम के अनुसार शिक्षित होने की इजाजत देंगे, इस कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के द्वारा अफगान महिलाओं को ना सिर्फ प्रताड़ित किया जा रहा है, बल्कि उन्हें मार भी दिया जा रहा है. एक पूर्व अफगान न्यायाधीश नजला अयूबी ने यह जानकारी दी. स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, नजला अयूबी अफगान महिलाओं से बात कर रही हैं और उन्हें इस बात का उदाहरण मिला है कि वे किस दौर से गुजर रही हैं.

अयूबी के अनुसार, उत्तरी अफगानिस्तान में एक महिला को सिर्फ इसलिए आग के हवाले कर दिया गया क्योंकि उस पर तालिबान लड़ाकों के लिए खराब खाना पकाने का आरोप था. अयूबी ने कहा, ‘तालिबान लोगों को इस बात के लिए मजबूर कर रहा है कि वे उन्हें खाना दे और उनके लिए खाना बनाए. इसके अलावा, पिछले कुछ हफ्तों में कई युवतियों को ताबूतों में पड़ोसी देशों में भेजा जा रहा है, जिन्हें सेक्स स्लेव के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.’

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इसके साथ ही अयूबी ने कहा, ‘वे अफगान परिवारों को अपनी युवा बेटियों की शादी तालिबान लड़ाकों से करने के लिए भी मजबूर करते हैं. जब हम इन सभी अत्याचारों को देख रहे हैं, तो मुझे समझ नहीं आता कि तालिबान का वह वादा कहां है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि महिलाओं को काम पर जाना चाहिए.’ तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए ‘भागने’ के बाद अयूबी अमेरिका में रहती हैं. वह अब हर महिला संधि में गठबंधन और वैश्विक कार्यक्रमों की प्रमुख हैं, जिसका उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना है.

अयूबी ने कहा कि उसे तालिबान से भागने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि उसने महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात की. उन्होंने तालिबान के तहत जीवन को एक ‘बुरा सपना’ बताया. अयूबी ने कहा कि तालिबानी विद्रोहियों के सत्ता में आने से एक दिन पहले तक वह एक ‘शक्तिशाली ओहदे’ पर थीं, लेकिन अब समाज में उसकी हैसियत ‘कुछ नहीं’ थी. वकील के अनुसार, तालिबान शासन आने के बाद किराने की दुकान पर जाने के लिए अब उसे अपने पड़ोसी के चार साल के बच्चे के साथ जाना था.

टीवी एंकर को काम करने से रोका गया
तालिबान के दावों के बारे में बहुत संदेह है कि वे महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे और उन्हें नौकरी करने और स्कूल-कॉलेज जाने की अनुमति देंगे. कई महिला पत्रकारों के अनुसार तालिबान ने उन्हें काम करने से मना किया है. आरटीए एंकर शबनम खान डावरान ने एक वीडियो में कहा, ‘मेरा लक्ष्य काम पर वापस जाना था, लेकिन दुख की बात है कि उन्होंने मुझे काम नहीं करने दिया. उन्होंने मुझे बताया कि शासन बदल गया है.’

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