आखिर क्यों इतनी तेज़ी से फैल रहा है कोरोना का डेल्टा वेरिएंट? वैज्ञानिकों ने बताई वजह
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चीन के गुआंगडोंग प्रांत में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के शोधकर्ताओं ने ऐसे लोगों पर स्टडी की है जो कोरोना के B.1.617.2 यानी डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित थे. इन शोधकर्ताओं को रिसर्च में पता चला की कोरोना की ये वेरिएंट तेज़ी से खुद अपनी कॉपी तैयार करता है. यानी कम समय में ही एक वायरस कई वायरस में तब्लीद हो जाते हैं. साथ ही तुरंत मरीजों में इसके लक्षण दिखने लगते हैं.
अमेरिका में खौफ
अमेरिका में डेल्टा वेरिएंट को लेकर लोग खासे डरे हुए हैं. जून के महीने में यहां डेल्टा वेरिएंट के सिर्फ 10 फीसदी केस थे. लेकिन जुलाई के महीने में अब अमेरिका में 83.2 फीसदी केस डेल्टा वेरिएंट के ही हैं. भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने डेल्टा को ‘डबल म्यूटेंट’ कहा है. दरअसल इसमें दो म्यूटेंट- L452R और E484Q होता है. L452R ब्राज़ील की गामा और साउथ अफ्रीका की बीटा वेरिएंट की तरह है.
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स्टडी के नतीजे
ब्रिटिश अखबार डेली मेल के मुताबिक ये स्टडी 21 मई से 18 जून के बीच ग्वांगडोंग प्रांत की राजधानी ग्वांगझू में की गई. इसके तहत डेल्टा संस्करण के पहले प्रकोप के दौरान 62 COVID-19 रोगियों को देखा गया. शोधकर्ताओं ने इस डेटा की तुलना उन 63 मरीजों से की जो साल 2020 में इस वेरिएंट से संक्रमित हुए थे. रिसर्च में पता चला कि डेल्टा वेरिएंट किसी भी इंसान के शरीर में बेहद तेज़ी से फैलता है. डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में वायरस की लोड 1000 गुना ज्यादा थी.
4 दिनों में ही लक्षण
स्टडी में पता चला कि जब भी कोई डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होता है तो उनमें सिर्फ चार दिनों के अंदर लक्षण दिखने लगते हैं. जबकि कोरोना के ऑरिजनल वेरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों में बीमारी के लक्षण कम से कम 6 दिनों दिखते हैं. डेटा की स्टेडी के बाद ये भी कहा गया कि डेल्टा वेरिएंट दो से तीन गुना तेज़ी से फैलता है. इसकी तूलना साल 2019 में वुहान में मिले डेटा से की गई.
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