उत्तराखंड

AIIMS के चीफ डॉ गुलेलिया बोले- बूस्टर डोज की फिलहाल जरूरत नहीं, पहले सबको मिले वैक्सीन

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नई दिल्ली. कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया के किसी देश में फिलहाल नहीं थमा है. वायरस को मात देने के लिए इन दिनों हर किसी को कोरोना की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) दी जा रही है. अमेरिका, ब्राज़ाली समेत दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की तीसरी यानी बूस्टर डोज़ दी जा रही है. भारत में फिलहाल बूस्टर डोज़ को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है. इस बीच AIIMS के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने कहा है कि भारत में अभी बूस्टर डोज़ की जरूरत नहीं है. उनके मुताबिक भारत में पहली प्राथमिकता इस वक्त सभी को वैक्सीन देने की है.

समाचार एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें उन लोगों के टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए, जिन्हें अब तक टीका नहीं लगाया गया है, खासकर हाई रिस्क ग्रुप वाले लोगों को. अभी भी कई स्वास्थ्य कर्मियों, कई बुजुर्गों और पहले से कई बीमारियों से ग्रस्त लोगों को टीका नहीं लगाया गया है. ये वो लोग हैं जिन्हें कोरोना से सबसे ज्यादा खतरा है.’

पर्याप्त डेटा नहीं
इससे पहले डॉ रणदीप गुलेरिया ने शनिवार को वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर कहा था कि भारत के पास तीसरे COVID-19 वैक्सीन शॉट की आवश्यकता के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है. उनके अनुसार अगले साल जनवरी तक इस बारे में पूरा डेटा मिल सकता है. बता दें कि कई देशों में 6 महीने के बाद लोगों को बूस्टर डोज़ दी जा रही है. पिछले दिनों अमेरिका ने भी हाई रिस्क ग्रुप वालों को बूस्टर डोज़ लगाने का ऐलान किया था.

बढ़ानी होगी वैक्सीनेशन की रफ्तार
बता दें कि सरकार ने 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन इस साल के आखिर तक लगाने का वादा किया है. अब तक वैक्सीन की 60 करोड़ डोज़ लगाई जा चुकी है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक डेड लाइन पूरा करने के लिए सरकार को हर रोज़ 1 करोड़ वैक्सीन लगानी होगी. यानी मौजूदा दर से दोगुनी ज्यादा. पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, झारखंड, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर वैक्सीन की रफ्तार बढञाने का ज्यादा बोझ होगा.

https://www.youtube.com/watch?v=xCIbhBw8SWg

रिसर्च में निवेश बढ़ाने का सुझाव
गुलेरिया ने एंटीवायरल या दवाओं के लिए रिसर्च में निवेश बढ़ाने का भी सुझाव दिया, जिनका उपयोग कोविड -19 के इलाज में किया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘हम अभी भी कोविड -19 के लिए किसी विशिष्ट एंटीवायरल के बजाय बहुत सारी दूसरी दवाओं का उपयोग कर रहे हैं. और दुर्भाग्य से, बहुत अधिक निवेश वैक्सीन के विकास में चला गया, लेकिन हमने वास्तव में एंटीवायरल या एक दवा के लिए अनुसंधान में इतना निवेश नहीं किया जो वायरस के खिलाफ प्रभावी हो सकता था.’

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