उत्तराखंड

Anti-Satellite Missile: रूस की हरकत से हड़कंप! जानिए भारत के पास कब से है यह तकनीक?

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि अंतरिक्ष स्टेशन के सातों सदस्यों को स्टेशन के साथ लगे अंतरिक्ष यान में दो घंटे के लिए रखा गया. ऐसा ऐहतियात के तौर पर किया गया. अंतरिक्ष स्टेशन धरती से करीब 402 किमी ऊपर स्थित है. रूस ने जिस स्थान पर अपने सैटेलाइट को मार गिराया है वहां से यह अंतरिक्ष स्टेशन हर 90 मिनट में गुजरता है. ऐसे में नासा ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए उन्हें स्टेशन के भीतरी इलाके में बने कैप्सूल में रहने को कहा है. नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा है कि एजेंसी आने वाले दिनों में भी मलबों पर नजर रखेगी ताकि कक्षा में भ्रमण कर रहे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

क्या होते हैं एंटी सैटेलाइट हथियार
दरअसल, आज की तारीख में दुनिया के तमाम देश सैन्य के साथ नागरिक जरूरतों से जुड़ी सेवाओं के लिए पूरी तरह से सैटेलाइट्स पर निर्भर हैं. ऐसे में दुनिया के बड़े देश इस होड़ में लगे हैं कि किसी दूसरे देश से जंग होने की स्थिति में उनके सैटेलाइट्स को नष्ट कर किस तरह उनके पूरे कम्युनिकेशन सिस्टम को ठप किया जा सकता है. इसी काम के लिए एंटी सैटेलाइट मिसाइल बनाया जा रहा है. इन मिसाइलों से हमला कर अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे दुश्मन देश के उपग्रह को नष्ट करने की तकनीक ही एंटी मिसाइल तकनीक है. वैसे अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने अपने दुश्मन देश के खिलाफ इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया है. वैसे अमेरिका के साथ-साथ रूस, चीन और भारत सफलतापूर्वक अपनी क्षमता का परीक्षण कर चुके हैं.

क्यों खतरनाक माना जा रहा रूस की ये हरकत
विशेषज्ञों का कहना है कि सैटेलाइट को मार गिराने वाली मिसाइल के परीक्षण से एक खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है. इससे मलबों के बादल बन गए हैं. ये बादल अन्य वस्तुओं से टकरा सकते हैं और इससे एक चेन रिएक्शन पैदा हो सकता है. इससे धरती की कक्षा में उथल-पुथल मच सकता है.

उपग्रह के हजारों टुकड़े हुए
अभी तक रूस की सेना और वहां के रक्षा मंत्रालय की ओर से इस एंटी सैटेलाइट मिसाइल के परीक्षण पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष कमान ने एक बयान में कहा है कि रूस की इस हरकत से अंतरिक्ष में सैटेलाइट के कम से कम 1500 टुकड़े ऐसे हैं जिसे देखा जा सकता है. इसके अलावा हजारों अन्य टुकड़े तैर रहे हैं. अमेरिकी स्पेश कमान के प्रमुख जनरल जैम्स डिकिन्सन ने इस बारे में कहा है कि रूस ने सभी राष्ट्रों के लिए अंतरिक्ष की सुरक्षा, स्थायित्व और टिकाऊपन को खतरे में डाल दिया है.

रूस की इस हरकत का सालों तक रहेगा असर
जनरल डिकिन्सन ने कहा कि इस मिसाइल टेस्ट से पैदा हुए कचरे बाह्य अंतरिक्ष में सालों तक खतरा बने रहेंगे. इससे सैटेलाइट और स्पेस मिशन को खतरा है. अमेरिका के रक्षा मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी रूस के इस परीक्षण की आलोचना की है. उन्होंने इसे रूस का लापरवाही भरा और गैरजिम्मेदाराना हरकत बताया है.

एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण करने वाला रूस पहला देश नहीं
अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण करने का रूस पहला देश नहीं है. आज से करीब 5 दशक पहले अमेरिका ने पहली बार ऐसा किया था. उस वक्त सैटेलाइट्स की संख्या बहुत कम हुआ करती थी. इसी साल अप्रैल माह में रूस ने एक और एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया था. उसका कहना है कि अंतरिक्ष युद्ध का नया क्षेत्र बनते जा रहा है.

भारत भी कर चुका है ऐसा परीक्षण
भारत ने भी वर्ष 2019 में धरती की निचली कक्षा में घूम रहे अपने ही एक सैटेलाइट को मार गिराया था. उसने इसे अपने सतह से अंतरिक्ष में मार करने वाली मिसाइल से किया था.

अमेरिका सबसे ज्यादा चिंतित
अमेरिकी सेना दुनिया की सबसे आधुनिक सेना है. वह धरती पर अपने तमाम ऑपरेशन्स में सैटेलाइट्स की मदद लेती है. वह पूरी तरह से सैटेलाइट्स पर निर्भर है. वह जंगी साजोसामान को भी लाने-ले जाने में पूरी तरह से अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे अपने सैटेलाइट्स की मदद लेती है. रूस के इस परीक्षण से अंतरिक्ष गतिविधियों के लंबे समय तक सुरक्षित रहने को लेकर सवाल पैदा कर दिए हैं. इसमें बैंकिंग और जीपीएस सेवाओं पर भी असर पड़ने की आशंका है.

Tags: ISRO satellite launch, Missile trial, Russia



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