उत्तराखंड

105 साल की उम्र में साक्षरता परीक्षा पास करने वाली भगीरथी अम्मा का निधन, नारी शक्ति पुरस्कार से थीं सम्मानित

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तिरुवनंतपुरम. केरल में 105 साल की उम्र में साक्षरता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली भगीरथी अम्मा (Bhagirathi Amma) का निधन हो गया. वह 107 वर्ष की थीं. पढ़ाई के प्रति उनके समर्पण की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक वृद्धावस्था में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण उनका निधन हुआ. उन्होंने बृहस्पतिवार देर रात अपने घर में ही अंतिम सांस ली. भगीरथी अम्मा ने दो साल पहले ही 105 वर्ष की उम्र में साक्षरता परीक्षा उत्तीर्ण की थी, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सराहना भी की थी.

कोल्लम जिले के प्रक्कुलम की रहने वालीं भगीरथी को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने प्रकट किया शोक

उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भगीरथी अम्मा ने साक्षर बनने के अपने दृढ़ संकल्प को साकार किया था. मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा कि वह प्रेरणादायक हस्ती थीं, जो समाज में महिला सशक्तिकरण और साक्षरता अभियान का प्रतीक थीं.

जानिए भगीरथी अम्मा के बारे में…

भगीरथी अम्मा ने 2019 में राज्य द्वारा संचालित केरल राज्य साक्षरता मिशन (केएसएलएम) द्वारा आयोजित चौथी कक्षा की समकक्ष परीक्षा में उत्तीर्ण होकर सबसे उम्रदराज छात्रा बनने का इतिहास रचा था. भगीरथी अम्मा राज्य साक्षरता मिशन द्वारा कोल्लम में आयोजित परीक्षा में शामिल हुई थीं और उन्होंने 275 में से 205 अंक प्राप्त कर कीर्तिमान स्थापित किया. गणित विषय में उन्हें पूरे अंक प्राप्त हुए थे. केएसएलएम के सूत्रों ने यहां बताया कि वृद्धावस्था की वजह से भगरथी अम्मा को परीक्षा में लिखने में दिक्कत आ रही थी और उन्होंने पर्यावरण, गणित और मलयालम के तीन प्रश्नपत्रों को पूरा करने में तीन दिन का समय लिया था.

9 साल की उम्र में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई

गौरतलब है कि भगीरथी अम्मा को पारिवारिक परेशानियों के कारण नौ वर्ष की आयु में अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. पढ़ाई के प्रति उनके जुनून की मोदी ने भी प्रशंसा की थी. प्रधानमंत्री ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी भगीरथी अम्मा के बारे में जिक्र किया था. उन्होंने उनकी कहानी का जिक्र करते हुए कहा था, ‘‘अगर हम जिंदगी में तरक़्क़ी करना चाहते हैं तो हमें खुद का विकास करना होगा, अगर हम कुछ हासिल करना चाहते हैं तो उसकी पहली शर्त यह है कि हमें अपने अंदर के विद्यार्थी को जीवित रखना होगा. ’’

भगीरथी अम्मा के परिजनों के मुताबिक वह 10वीं कक्षा की परीक्षा भी उत्तीर्ण करना चाहती थीं लेकिन उनका यह सपना अधूरा रह गया. उनके 12 नाती-पोते और परनाती- परपोते हैं. उनके छह बच्चों में से एक और 15 पोते पोतियों में से तीन अब जीवित नहीं हैं. शिक्षा मंत्री वी सिवन कुट्टी और विधानसभा के अध्यक्ष एमबी राजेश समेत अन्य ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया.

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