उत्तराखंड

Bihar Assembly Bypoll Result: लालू-तेजस्‍वी की 42 जनसभाओं पर भारी नीतीश कुमार की 5 रैली

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पटना. बिहार में उपचुनाव का दंगल समाप्‍त हो गया है. सत्‍तारूढ़ NDA के प्रमुख घटक दल JDU प्रदेश की चुनावी राजनीति में अपनी जड़ों को और मजबूत करने में सफल रहा है. कुशेश्‍वरस्‍थान और तारापुर विधानसभा सीटों पर जेडीयू प्रत्‍याशियों ने जीत हासिल की है. वहीं, प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) को दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. लालू यादव की उपस्थिति के बावजूद राजद को विशेष लाभ नहीं हुआ, जबकि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू को सफलता मिली है. चुनावी गहमा-गहमी के बीच सीएम नीतीश कुमार और लालू-तेजस्‍वी द्वारा इस दौरान की गई जनसभाओं को लेकर दिलचस्‍प तथ्‍य सामने आया है.

लालू यादव और उनके बेटे तेजस्‍वी यादव ने उपचुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए जीतोड़ मेहनत की. पिता-पुत्र की जोड़ी ने कुल मिलाकर 42 जनसभाएं कीं. अस्‍वस्‍थता के बावजूद लालू प्रसाद यादव ने 2 जनसभाओं को संबोधित किया. बता दें कि लालू यादव ने लंबे अरसे के बाद किसी चुनावी रैली में हिस्‍सा लिया था. वहीं, बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने धुआंधार 40 चुनावी रैलियों को संबोधित किया. इसके बावजूद आरजेडी को कुशेश्‍वरस्‍थान और तारापुर विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. लालू यादव की मौजूदगी भी राजद को जीत नहीं दिला सकी.

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 दूसरी तरफ, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने उपचुनाव के दौरान दोनों विधानसभा क्षेत्रों में सिर्फ 5 जनसभाओं में हिस्‍सा लिया. उनकी पार्टी जदयू को दोनों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई. राजनीतिक प्रेक्षक इस जीत के पीछे सीएम नीतीश की लोकप्रियता को जिम्‍मेदार मानते हैं. नीतीश कुमार ने 25 और 26 अक्‍टूबर को दोनों विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया था. इसका असर मतदाताओं पर भी दिखा. हालांकि, इस दौरान जेडीयू के बड़े नेताओं की टीम दोनों विधानसभा क्षेत्रों में जमी रही. ये नेता चुनावी गतिविध‍ि की हर पहलू पर नजर बनाए रखा था.

बता दें कि कुशेश्‍वरस्‍थान और तारापुर विधानसभा सीटें जदयू के कब्‍जे में ही थी. ऐसे में इन सीटों पर फिर से जीत हासिल करना जदयू के लिए साख का विषय बन गया था. वहीं, राजद इन दोनों सीटों पर जीत हासिल कर तेजस्‍वी यादव के नेतृत्‍व को एक बार फिर से स्‍थापित करने की कोशिश में जुटा था. हालांकि, तेजस्‍वी यादव की ताबड़तोड़ रैलियों के बावजूद उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. दूसरी तरफ, महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस का बुरा हाल रहा. कन्‍हैया कुमार, जिग्‍नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल जैसे युवा फायर ब्रांड नेताओं की मौजूदगी का लाभ भी कांग्रेस को नहीं मिला.

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