उत्तराखंड

BSP MP अतुल राय; कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया, पीड़िता ने जान दे दी… लेकिन मायावती चुप रहीं

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नई दिल्ली. बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Leader Mayawati) ने जेल में बंद अपने सांसद अतुल राय (Atul Rai) के खिलाफ पिछले दो सालों में कोई कार्रवाई नहीं की, बावजूद इसके कि उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने अतुल राय (Atul Rai) के खिलाफ बलात्कार के मामले को गंभीर बताते हुए बसपा नेता को जमानत देने से इनकार कर दिया. यही नहीं कोर्ट ने कई बार जमानत से इनकार किया और पीड़िता सांसद से मिल रही धमकियों की शिकायत करती रही. पीड़िता ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद को आग के हवाले कर लिया और गंभीर रूप से घायल होने के चलते मंगलवार को उसकी मौत हो गई. पीड़िता ने लगातार आरोप लगाया कि आरोपी को यूपी पुलिस बचा रही है. यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) से पहले अतुल राय का मामला, बीजेपी नेता कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) की तरह ही है, जिन्हें बड़ी आलोचनाओं के बाद बीजेपी ने पार्टी से निकाला. लेकिन मायावती ने ऐसा कोई फैसला नहीं किया और अतुल राय घोसी संसदीय सीट से बसपा के सांसद बने हुए हैं.

दिलचस्प है कि अतुल राय ने 2019 के बाद से सिर्फ एक दिन संसद की कार्यवाही में हिस्सा लिया है, और वो दिन भी जब उन्होंने बतौर पर सांसद सदन में शपथ ली. उन्हें पैरोल पर छोड़ा गया था. सांसद के भाई की शिकायत पर पीड़िता के खिलाफ फ्राड का मामला दर्ज किया गया था. न्यूज18 ने जब मामले में बीएसपी के प्रवक्ता धर्मवीर चौधरी से पूछा कि क्या मायावती अब अतुल राय को पार्टी से निकालेंगी तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

कोर्ट के दस्तावेजों को खंगालने के बाद न्यूज18 ने पाया कि अदालत लगातार अतुल राय के खिलाफ आदेश दे रही थी. 2019 में, इलाहाबाद के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) और इलाहाबाद उच्च न्यायालय (एचसी) दोनों ने मुकदमे से पहले रेप के मामले में मुक्त करने के लिए दायर बसपा सांसद की याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, “यह मानने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है कि अतुल राय के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है और उन्हें बरी करने का भी कोई पर्याप्त आधार नहीं है.” इसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि अतुल राय मुकदमे के निपटान में देरी कर रहे थे और हाईकोर्ट के निर्देशों पर सत्र परीक्षण के दौरान आरोप तय किए गए थे.

हाईकोर्ट ने 2019 और 2021 में दो मौकों पर अतुल राय को जमानत देने से इनकार कर दिया. इस साल जून महीने में मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने राय को जमानत देने से इनकार कर दिया और मामले में ट्रायल शुरू किया गया. राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि मामले में कई मुख्य गवाहों को कोर्ट में पेश किया जाना है, साथ ही सरकार ने राय के आपराधिक रिकॉर्ड को भी कोर्ट के सामने रखा. सरकार ने दलील दी कि अगर अतुल राय को जमानत मिलती है, तो ट्रायल पर असर पड़ेगा. बसपा सांसद को 2020 में हाईकोर्ट से राहत मिली और उन्हें दो दिनों के लिए पैरोल दी गई, जिसके बाद वे दिल्ली आए और संसद भवन जाकर बतौर सांसद शपथ ली. अगर कोर्ट उन्हें पैरोल नहीं देता, राय को अपनी सांसदी गंवानी पड़ती.

अतुल राय ने कहा- पीड़ित लड़की मासूम नहीं, पीड़िता ने धमकियों की शिकायत की
2019 में राय की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि पीड़ित लड़की ने 9 अगस्त 2019 को एक पत्र के जरिए भारत के मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई है. पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट से अपने लिए सुरक्षा की मांग की थी, साथ ही मामले में अतुल राय की ओर से मिल रही धमकियों के बारे में मुख्य न्यायाधीश को जानकारी दी थी. हाईकोर्ट के रिकॉर्ड में यह दर्ज है कि अतुल राय के खिलाफ अपराध के 32 मामले हैं और वह हिस्ट्रीशीटर रहा है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, “हमें बताया गया है कि राय के खिलाफ स्थापित अधिकांश मामले अभी भी लंबित हैं और उनमें से कुछ धारा 302 और अन्य जघन्य अपराधों के तहत हैं.”

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