उत्तराखंड

भारत में 100 करोड़ का जश्‍न, 40 करोड़ ऐसे भी जिन्‍होंने नहीं लगवाई वैक्‍सीन की एक भी डोज

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नई दिल्‍ली. भारत ने कोविड वैक्‍सीनेशन में 100 करोड़ वैक्‍सीन की डोज (100 Crore Covid Vaccination Doses) लगाने का लक्ष्‍य प्राप्‍त कर लिया है. 9 महीने में हासिल की गई इस उपलब्धि पर देशभर में जश्‍न मनाया जा रहा है. हालांकि सरकारों की तमाम कोशिशों और जागरुकता अभियानों के बावजूद एक बड़ी संख्‍या ऐसी भी है जिसने कोरोना वैक्‍सीन की पहली डोज भी नहीं लगवाई है. भारत में 40 करोड़ व्‍यस्‍कों ने अभी तक कोरोना टीके की एक भी खुराक नहीं ली है, यह अपने-आप में चौंकाने वाला आंकड़ा है.

गौरतलब है कि भारत में 100 करोड़ टीकों में से 70 करोड़ के आसपास पहली डोज (First Dose) लगी है. जबकि करीब 30 लाख लोग दूसरी डोज (Vaccine Second Dose) के साथ पूरी तरह वैक्‍सीनेटेड (Fully Vaccinated) हैं. टीका प्राप्‍त इन लोगों में बुजुर्गों के अलावा 45 साल से ऊपर के और 18 साल से ऊपर के सभी लोग शामिल हैं. हालांकि भारत में सिर्फ व्‍यस्‍कों की संख्‍या ही 94 करोड़ है. लिहाजा 18 साल से ऊपर के 40 करोड़ लोग अभी भी वैक्‍सीन सेंटरों तक नहीं पहुंचे हैं.

टीकाकरण पूरा करने के लिए पड़ेगी इतनी डोज की जरूरत

आईसीएमआर (ICMR) कोविड-19 टास्‍क फोर्स के चेयरमैन डॉ. एन के अरोड़ा कहते हैं कि भारत में 94 करोड़ व्यस्क आबादी है और देश की आबादी का दोनों डोज का टीकाकरण कार्यक्रम पूरा करने के लिए 190 करोड़ अतिरिक्त डोज की आवश्यकता होगी. जहां तक वैक्सीन की आपूर्ति और देश के स्वास्थ्य संसाधनों की बात है हम इस बारे में काफी आश्वस्त हैं. सही मायने में अभी हम लोगों में एक तरह का वैक्सीन जोश या वैक्सीन उत्साह देख पा रहे हैं जबकि वैक्सीन हेजिटेंसी जैसी कोई बात नहीं है लेकिन इसके आगे का रास्ता कठिन हो सकता है, क्योंकि संभव है कि हम वैक्सीन हेजिटेंसी को पूरी तरह खत्म कर दें या लोग वैक्सीन से हिचकिचाएं ही या फिर वैक्सीन हेजिटेंसी की संख्या काफी कम हो.

वे कहते हैं कि उनका इस संदर्भ में पूर्णत: विश्वास है कि प्रासंगिक कारकों को दूर करने के ठोस प्रयास से देश को पूर्ण टीकाकरण प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

शुरुआत में लोगों में वैक्‍सीन को लेकर थी हिचक

डॉ. अरोड़ा कहते हैं कि पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए वैक्सीन हिचकिचाहट या वैक्सीन हेजिटेंसी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान किया गया था, कोविड टीकाकरण के बारे में गलत सूचनाओं और भ्रांतियों को दूर करने के लिए भी वैसा ही तंत्र तैयार किया गया. सरकार ने बीते साल अक्टूबर महीने में कोविड टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही सोशल मोबिलाइजेशन या सामाजिक लामबंदी शुरू कर दी थी. व्यवस्था के तहत टेलीविजन, न्यूज चैनल, प्रिंट मीडिया, वेबिनार, रेडियो कार्यक्रम आदि अन्य संचार के माध्यमों से वैज्ञानिक और प्रमाणित जानकारी के लिए 360 डिग्री का दृष्टिकोण अपनाया गया.

धार्मिक गुरुओं और सोशल मीडिया का भी लिया सहारा

डॉ. अरोड़ा कहते हैं कि वैक्‍सीनेशन को बढ़ाने के लिए कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व, धार्मिक गुरू, समुदायों के नेता आदि ऐसे लोगों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए गए क्योंकि धार्मिक गुरू जनता के साथ जुड़े होते हैं.पहली बार सोशल मीडिया पर प्रसारित की जानी वाली सूचनाओं की स्कैनिंग की गई, ताकि गलत सूचनाओं और अफवाहों को बारीकि से देखा जा सके, उनको जाना जा सके और फिर उनका मूल्यांकन किया जा सके और व्यवस्थित तरीके से उनका बचाव किया जा सके. मुझे लगता है कि वैक्सीन हिचकिचाहट भी एक तरह से संक्रामक बीमारी है, यह तेजी से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में फैलती है यदि समय रहते इसे खत्म करने के लिए त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती है.

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