उत्तराखंड

किताब में दावा : ISI जानता था जाधव एक छोटी मछली है फिर भी उसने इंतजार किया

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– पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को पता था कि कुलभूषण जाधव एक छोटी मछली है इसके बावजूद वह बड़ा हाथ मारने के फिराक में थे.

– भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पहले हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के इलाके में घुसपैठ की और उनके नेटवर्क में विदेशी आतंकियों के शामिल होने का इंतजार किया था.

– 26/11 के हमले से पहले विदेशी एजेंसियों ने भारत को 18 पेज की एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें उन्‍होंने बताया था कि आतंकी मुंबई में किस रास्‍ते से आएंगे, आतंकी कौन सी जगह को निशाना बना सकते हैं और उनका हमला करने का तरीका क्‍या होगा. इन सारी खुफिया जानकारी के बावजूद इसे काफी हद तक नजरअंदाज किया गया था.

पत्रकार युगल एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट-क्लार्क की नई बुक ‘स्पाई स्टोरीज़: इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ़ द रॉ एंड द आईएसआई’ में इस तरह के कुछ बड़े दावे किए गए हैं. बता दें कि इस बुक को जगरनॉट द्वारा प्रकाशित किया गया है और ये बुक भारतीय और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के कथित गुप्त सौदों पर आधारित है.

इंडियन एक्‍सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक लेखकों ने छोटे-छोटे बिंदुओं को जोड़कर एक किताब लिखी है, जिसमें कई हाई-प्रोफाइल सेवारत और सेवानिवृत्त जासूसों से बात की गई है. लेकिन इस बुक में दी गई जानकरी के मुख्‍य सूत्र आईएसआई और रॉ से जुड़े दो अधिकारी हैं. सूत्रों के मुताबिक आईएसआई अधिकारी ( जिसे डे ग्युरे ‘मेजर इफ्तिखार’ के रूप में लोग जानते थे) ने कई अहम जानकारी लेखकों को दी है. मेजर इफ्तिखार कश्‍मीर सहित कई आईएसआई अभियानों में भाग ले चुके हैं. जबकि रॉ की पूर्व अधिकारी मोनिशा ने भी कई अहम जानकारी दी है. मोनिशा के रूप में जानी जाने वाली रॉ अधिकारी अब भारतीय खुफिया एजेंसी के लिए काम नहीं करतीं और अमेरिका में बस गई हैं.

बता दें कि कुलभूषण जाधव को भारतीय जासूस होने के आरोप में साल 2016 में बलूचिस्‍तान से गिरफ्तार किया गया था. जाधव तब से अब तक जेल में बंद हैं. लेखक ने बताया है कि कुलभूषण जाधव को पकड़ने के लिए आईएसआई ने कराची स्थिति उजैर बलूच के नेटवर्क का इस्‍तेमाल किया था. बता दें कि उजैर बलूच के ईरानी बलूचिस्तान से गहरे संबंध हैं. उजैर बलूच एक जमींदार और व्‍यापारी है और आईएसआई ने इसका इस्‍तेमाल चाबहार शहर स्थित ईरानी बंदरगाह में जासूसी करने में किया था.

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आईएसआई ने जाधव को पकड़ने में तुरंत कोई जल्‍दबाजी नहीं की
किताब में आईएसआई से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि 2014 में चाबहार के एक परिसर में आईएसआई ने कुछ लोगों को पकड़ा था, जिन्‍हें वो रॉ अधिकारी मान रहे थे. पकड़े गए लोगों में से एक शख्‍स ऐसा भी था, जिसे वो पहचान नहीं पा रहे थे लेकिन वो उस स्‍थान पर बार-बार आता जाता रहता था. वो ईरानी नहीं था लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वह समुद्री माल ढुलाई का काम करता है. लेखकों ने आईएसआई के एक कर्नल का जिक्र किया है जिसने बताया कि आईएसआई ने जाधव को पकड़ने में तुरंत कोई जल्‍दबाजी नहीं की. आईएसआई इस मौके की तलाश में थी कि जाधव कोई बड़ा कदम उठाए जिससे उसे पकड़ा जा सके.

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किताब में दावा 2001 के संसद हमले से नाराज थे कुलभूषण जाधव
किताब में बताया गया है कि जाधव 2001 के संसद हमले से नाराज थे और उन्होंने भारतीय एजेंसियों की सहायता करने की पेशकश की थी. 26/11 के चार साल बाद, जाधव ने बताया कि उनके बलूच परिवार के साथ अच्‍छे संबंध बन गए हैं और उनका संपर्क सीधे उजैर बलूच के भतीजे हो गया है. जाधव को कभी इस बात की भनक तक नहीं लगी कि वह आईएसआई के बिछाए जाल में ही फंस रहे थे. बता दें कि जाधव ने जिस बलूच परिवार में घुसपैठ की थी वह आईएसआई के लिए ही काम कर रहा था.

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बुरहान वानी को बहुत पहले ही मार सकती थी भारतीय खुफिया एजेंसी
वहीं दूसरी तरफ किताब में कश्मीरी आतंकवादी और हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को लेकर भी बड़े खुलासे किए गए हैं. बुरहान वानी की साल 2016 में हत्या के बाद पूरी घाटी में विरोध प्रदर्शन किया गया था. लेवी और स्कॉट-क्लार्क का कहना है कि वानी को बहुत पहले ही मारा जा सकता था, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने वानी के नेटवर्क में घुसपैठ की थी और लगातार उस पर नजर बनाए रखी.

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