हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान कोरोना दिशा-निर्देशों का उल्लंघन चिंता का विषय बना. (फाइल)
Haridwar Mahakumbh: हरिद्वार महाकुंभ में अब तक करीब दो दर्जन साधु-संत और 500 से ज्यादा श्रद्धालु संक्रमित पाए गए हैं. जरा सोचिए कि महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं में कितने संक्रमित होंगे और कितनों के संपर्क में आए होंगे जो यहां से लौटने पर ‘कोरोना बम’ साबित होने वाले हैं.
हरिद्वार. बार-बार आगाह करने के बावजूद जैसी आशंका थी, उससे भी भयावह रूप से हरिद्वार महाकुंभ सुपर कोरोना स्प्रेडर इवेंट बनकर सामने आ रहा है. महाकुंभ में शाही स्नान शुरू होने के पहले और शाही स्नान के बाद सामने आए कोरोना संक्रमितों के आंकड़े चिंता सरकार और सिस्टम ही नहीं, सबके लिए चिंता पैदा करने वाले हैं. महाकुंभ में अब तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक अखाड़ों से जुड़े करीब दो दर्जन संत और 500 से ज्यादा श्रद्धालु जांच में संक्रमित पाए गए हैं. यह आंकड़े महज कुछ हजार लोगों की जांच के बाद के हैं, जबकि महाकुंभ में शाही स्नान पर 31 लाख से ज्यादा लोगों के स्नान का दावा किया गया है. बुधवार को भी लगभग 14 लाख लोगों ने कुंभ-स्नान किया. जरा सोचिए कि महाकुंभ में कितनी बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं में कितने लोग संक्रमित होंगे और कितने लोगों के संपर्क में आए होंगे तथा यहां से लौटने पर कितना बड़ा कोरोना बम साबित होने वाले हैं.
यह सही है कि हर धार्मिक आयोजन का अपना महत्व होता है और महाकुंभ के प्रति तो भारतीय जनमानस में अत्यधिक आस्था है. लेकिन कोरोना जैसी महामारी या बीमारी कोई धर्म नहीं होता. महामारी के इस दौर में जहां मंदिर, मस्जिद से लेकर स्कूल-कॉलेज, धार्मिक, सामाजिक आयोजन तक सब कुछ बंद हैं. नदियों-तालाबों में नहाने तक पर रोक लगी है. शादी-ब्याह, मौत, मय्यत में 10-20 लोगों से ज्यादा शामिल पर पाबंदी है. ऐसे दौर में हरिद्वार में महाकुंभ, जहां हर शाही स्नान पर लाखों की भीड़ जुटना है, वहां की सरकारों और सिस्टम को आयोजन के पहले महामारी की भयावहता पर विचार जरूर करना था. लेकिन इसके उलट महाकुंभ में सिस्टम पूरी तरह फेल और कोविड नियमों की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं.
केन्द्र सरकार ने किया था आगाह
बता दें कि केन्द्र सरकार ने भी उत्तराखंड सरकार को आगाह किया था कि हरिद्वार कुंभ कोरोना स्प्रेडर साबित हो सकता है, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को विश्वास था कि वह पूरे महाकुंभ को सफलता के साथ संपन्न कराने में कामयाब होंगे. उन्होंने कोविड प्रोटोकाल के दायरे में महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को कोरोना स्नान कराने का दावा भी किया था. उन्होंने महाकुंभ की तुलना 2020 में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज की घटना से करने वालों की आलोचना भी की और कहा कि मरकज हॉल के अंदर था, जबकि कुंभ खुले में हो रहा है. हरिद्वार ही नहीं, ऋषिकेश से लेकर नीलकंठ तक फैला है, गंगा मैया किसी को कोरोना नहीं होने देंगी.
केन्द्र सरकार ने किया था आगाह
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सरकार के दावे के उलट तस्वीर
महाकुंभ में पहले ही शाही स्नान पर सरकार के दावे से उलट तस्वीर दिखी. कोरोना प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ते पूरे देश ने देखी. स्नान के दौरान व्यवस्थाएं देख रहे आईजी ने हाथ खड़े कर दिए कि यहां किसी से मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कोई किसी की नहीं सुन रहा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टेस्ट, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट की सीख को पूरी तरह से भुला दिया गया. श्रद्धालु खुद सोशल डिस्टेंसिंग के प्रति लापरवाह दिखे. श्रद्धालुओं को संभालने को पुलिस की गुहार पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वॉलिंटियर भी लगे थे, लेकिन जैसे ही शाही स्नान का वक्त आया, सारा सिस्टम, व्यवस्थाएं, इंतजाम ध्वस्त हो गए. सरकार को थर्मल स्क्रीनिंग और मास्क तक के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ रही है.
सरकार के दावे के उलट तस्वीर
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ऐसे सामने आया कोरोना विस्फोट
महाकुंभ में सबसे बड़ा कोरोना विस्फोट रविवार को हुआ, जब सोमवती अमावस्या पर शाही स्नान से एक दिन पहले संतों और श्रद्दालुओं की कोरोना जांच हुई. इस जांच के दौरान महाकुंभ में सबसे ज्यादा 401 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले. इसमें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरी, जूना अखाड़े के नितिन गिरी, बैरागी, किन्नर, संन्यासी, वैष्णव और निरंजन अखाड़े के संतों सहित करीब दो दर्जन बड़े संत शामिल थे. अभी भी कई बड़े संतों की रिपोर्ट आनी बाकी है. कोरोना से बचाव की दवा लॉन्च करने वाले बाबा रामदेव के पतंजलि पीठ का भी करीब आधा दर्जन स्टाफ कोरोना संक्रमित है. रविवार रात से सोमवार शाम तक 18169 श्रद्धालुओं की कोरोना जांच की गई, बुधवार सुबह जो रिपोर्ट आई, उसमें 102 तीर्थयात्रियों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई. इसके बाद से लगातार नए आंकड़े सामने आ रहे हैं.
ऐसे सामने आया कोरोना विस्फोट
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जरा सोचिए, कितना बड़ा खतरा है सामने
हरिद्वार महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सरकार 16-17 घाट बना सकती है. हर की पैड़ी घाट पर साधु-संतों के सुरक्षित स्नान के लिए स्नाइपर तैनात किए जा सकते हैं, लेकिन धर्म की आस्था में डूबी संक्रमितों की भीड़ को आप स्नान के लिए पानी में उतरने से कैसे रोकेंगे? क्या इससे गंगा मैया संक्रमित नहीं होंगी? जरा यह भी सोचिए कि कुंभ में हर अखाड़े का डेरा है. इस अखाड़ों में और गंगा में स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु रोज हरिद्वार पहुंच रहे हैं. यह श्रद्धालु मध्यप्रदेश, पंजाब, केरल, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, छ्त्तीसगढ़ सहित उन राज्यों से हैं, जहां सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण फैल रहा है. सवाल है कि क्या इन राज्यों के लोग महाकुंभ में कोरोना के स्प्रेडर का खतरा नहीं साबित होंगे? दूसरा बड़ा सवाल यह भी है कि महाकुंभ से संक्रमितों की टोलियां जब अपने प्रदेश, शहर, घर लौटेंगी, तो क्या इनसे कोरोना फैलने का खतरा नहीं होगा? सिस्टम से कोरोना से बचाव के इंतजाम की अपेक्षा ही की जा सकती है.
जरा सोचिए, कितना बड़ा खतरा है सामने
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उत्तराखंड के एक डॉक्टर की सुनिए
उत्तराखंड के एक वरिष्ठ डॉक्टर हैं श्याम अग्रवाल, उनका बयान है कि सिस्टम को पिछले 8-10 दिन से आगाह किया जा रहा था कि महाकुंभ में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना, सैनेटाइजेशन सुनिश्चित करवाइए, ताकि कोरोना को फैलने से रोका जा सके, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. कोई सिस्टम ही नहीं बना है. जिसे कोरोना है, वह एक-दूसरे को संक्रमण बांटते महाकुंभ में घूम रहे हैं, ऐसे में ये नहीं होगा तो और क्या होगा. बहुत आश्चर्य मत करिए यहां कोरोना से संक्रमितों का आंकड़ा 2 लाख तक भी पहुंच सकता है. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)
उत्तराखंड के एक डॉक्टर की सुनिए
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