उत्तराखंड

प्रशासन के छूटे पसीने, ग्राम देवता की इजाजत लेकर इस गांव में हुआ कोरोना वैक्सीनेशन

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शिमला. भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है. इसी क्रम में विभिन्न जगहों पर स्थानीय प्रशासन को बेहद अलग-अलग तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ ऐसी दिक्कत हिमाचल प्रदेश में कुल्लू प्रशासन के सामने आ गई थी. दरअसल जिले के मलाना गांव के लोग बाहरी दुनिया को गांव के भीतर एंट्री देने में हिचकिचाते हैं. अगर किसी को एंट्री मिल भी गई तो गांव की किसी भी चीज को छूने पर पाबंदी हैं.

स्थानीय प्रशासन के सामने यह चैलेंज था कि अगर उसे गांव में वैक्सीनेशन के लिए एंट्री लेनी है तो पहले जमलू देवता यानी ग्राम देवता की इजाजत लेनी होगी. बिना जमलू देवता की इजाजत के वैक्सीनेशन असंभव था. प्रशासन को इसके लिए जमलू देवता के पूजारियों को मनाना था. करीब तीन घंटे की यात्रा कर सरकारी अधिकारी यहां पहुंचे और उन्होंने पुजारियों से बातचीत की. प्रशासन से बातचीत के वक्त कई पुजारी मौजूद थे. पुजारियों इस काउंसिल में 11 लोग होते हैं.

क्या थी पुजारियों की चिंता, प्रशासन ने कैसे दिए जवाब
पुजारियों की पहली चिंता ये थी वैक्सीन उन्हें ‘अशुद्ध’ कर सकती है. इसके अलावा वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर भी चिंता थी. कुल्लू जिले के डिप्टी कमिश्नर आशुतोष गर्ग के मुताबिक लंबी बातचीत के जरिए प्रशासन के लोगों पुजारियों की सारी शंकाओं का समाधान किया.

100 प्रतिशत सिंगल डोज वैक्सीनेशन की राह में रोड़ा
इसी के बाद प्रशासन इस गांव का वैक्सीनेशन कर पाने में कामयाब रहा. दरअसल पूरे हिमाचल में एक डोज के मामले में 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन का काम पूरा हो चुका है. बस मलाना गांव ही बाकी रह गया था. लेकिन अब प्रशासन ने इस मुश्किल से भी पार पा लिया है.

हिमाचल का ये गांव गांजे की खेती और बिक्री के लिए भी चर्चित है. हालांकि किसी भी बाहरी पर्यटक को भी गांव की किसी चीज को छूने की अनुमति नहीं दी जाती है.

(HIMANI CHANDNA की ये स्टोरी यहां क्लिक कर पूरी पढ़ी जा सकती है.)

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