उत्तराखंड

दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ लड़ने वाले डेसमंड टूटू का निधन, दलाई लामा ने जताया गहरा दुख

[ad_1]

धर्मशाला. नोबल शांति पुरस्कार विजेता और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करने वाले डेसमंड टूटू (Desmond Tutu) के निधन पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) ने गहरा दुख व्यक्त किया है. दलाई लामा के करीबी दोस्तों में से एक टूटू के निधन को दलाई लामा ने एक अपूर्णीय क्षति बताया है. टूटू अपने दोस्त धर्मगुरु दलाई लामा से मिलने मैक्लोडगंज भी आ चुके हैं. गौरतलब है कि डेसमंड टूटू और दलाईलामा को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार (Nobel Prizes) मिल चुका है.

90 वर्षीय टूटू ने जीवनभर दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. उनका निधन केप टाउन में हुआ. उनके निधन पर तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने गहरा दुख व्यक्त किया है. टूटू एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेता और वैश्विक मानवाधिकार प्रचारक थे. इस साल अक्टूबर में उन्होंने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था.

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने टूटू को राष्ट्रीय खजाना बताया

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने उन्हें राष्ट्रीय खजाना और ग्लोबल आइकन कहकर पुकारा था. रंगभेद के अहिंसक विरोध के लिए वर्ष 1984 में टूटू को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था. डेसमंड टूटू को भारत में भी गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. वर्ष 1994 में मंडेला के दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बनने के बाद, टूट को उनके द्वारा रंगभेद युग के दौरान गोरों और अश्वेतों द्वारा किए गए अपराधों की जांच के लिए स्थापित एक आयोग में नियुक्त किया गया था.

रंगभेद विरोधी प्रतीक नेल्सन मंडेला के साथ.साथ टूटू भी लगातार संघर्ष करते रहे. वो 1948 से 1991 तक दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ते रहे. रंगभेद व्यवस्था को खत्म करने के संघर्ष में उनकी भूमिका के लिए उन्हें 1984 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

आपके शहर से (धर्मशाला)

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश

Tags: Dalai Lama, Dharamshala News

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *