उत्तराखंड

G23 के दबाव के बावजूद संगठन चुनाव करवाने के मूड में नहीं कांग्रेस, कहां अटका है पेंच?

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नई दिल्‍ली. क्या सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) 2022 तक अध्यक्ष पद पर बनी रहेंगी? आखिर कांग्रेस (Congress) को पूर्णकालिक अध्यक्ष कब तक मिलेगा? कई बार चुनाव (Elections) की आहट तो सुनाई दी लेकिन क्यों नहीं हो रहे हैं संगठन चुनाव? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्‍योंकि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के इस्तीफे के 2 साल बाद भी कांग्रेस पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं चुन सकी है. कई बार चुनाव कराने का ऐलान तो हुआ है लेकिन चुनाव नहीं हुआ. यहां तक कि G23 की मांग का भी असर होता नहीं दिख रहा है.

इस बीच यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई ने प्रस्ताव पास कर राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की दूसरी बार अपील कर दी है. हालांकि राहुल गांधी ने अब तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं कि वो इन मांगों पर क्या सोचते हैं. अगस्त 2020 के आसपास G23 नेताओं के लेटर बम के बाद मची हलचल ने कांग्रेस आलाकमान को संगठन चुनाव करवाने के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया था. कांग्रेस कार्यसमिति ने चुनाव करवाने पर मुहर भी लगा दी लेकिन चुनाव टलते रहे. कभी राज्यों में चुनाव के नाम पर तो कभी कोरोना के नाम पर. कांग्रेस कार्यसमिति को पिछली बैठक में बंगाल सहित अन्य राज्यों के चुनाव के चलते संगठन चुनाव टालने पड़े थे. इन राज्यों के चुनावी नतीजे आने के महीनों बाद भी चुनाव करवाने की कोई चर्चा नहीं है.

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चुनाव कब होंगे इस सवाल के जवाब में पार्टी साफ-साफ कुछ नहीं कहती है. मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने तैयारी पूरी कर ली है लेकिन उनको आगे बढ़ने के संकेत अब तक नहीं मिले हैं. पार्टी के कई नेता संगठन चुनाव टलने के पीछे राहुल गांधी के रुख का स्पष्ट न होना मानते हैं. पार्टी नेताओं को ये पता ही नहीं है कि राहुल गांधी चाहते क्या हैं ?क्या वे दोबारा अध्यक्ष बनना चाहते हैं या 2022 में संगठन चुनाव तक इंतज़ार करने के मूड में हैं? राहुल गांधी के करीबी चाहते तो हैं कि राहुल जल्दी अध्यक्ष पद पर वापस आ जाएं लेकिन सूत्रों के।मुताबिक पहले वे अपनी टीम बना लेना चाहते हैं. करीब 10 राज्यों में राहुल की मुहर के साथ प्रदेश कमेटियां बन चुकी हैं. हर 15 दिन में एक राज्य में कमेटी का गठन किया जा रहा है. राहुल गांधी के करीबी कहते हैं कि उसके बाद ही राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के लिए पूरी तरह तैयार हो पाएंगे.

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सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाए रखने के पीछे पार्टी के बुजुर्ग नेताओं का तर्क है की इससे विपक्षी एकता में आसानी होगी और ममता ,शरद पवार जैसे नेताओं को साधने में आसानी होगी. हालांकि युवा नेताओं का दावा है कि राहुल गांधी के बुलावे पर भी हालिया समय में विपक्षी दल आए हैं और राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है, ये उनको तय करना है कि कब कमान संभालेंगे.

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