उत्तराखंड

देवकी जोशी ने पेश की स्वरोजगार की मिसाल, ‘कुमाऊं नमकीन’ से दिलाई पिथौरागढ़ को पहचान

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उत्तराखंड में स्वरोजगार की अनेकों सफल कहानियां हैं लेकिन ऐसा कम ही सुनने को मिलता है कि स्वरोजगार के बल पर किसी महिला ने अपने जिले को देशभर में पहचान दिलाई हो. पिथौरागढ़ की रहने वालीं देवकी जोशी की शख्सियत कुछ ऐसी ही है. उन्होंने पहाड़ी अनाजों से नमकीन बनाकर लघु उद्योग के क्षेत्र में जिले का नाम रोशन किया है. मंडुआ आदि से नमकीन बनाकर इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाने वालीं देवकी जिले की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं. उनकी इस मेहनत का ही नतीजा है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कई जगहों पर कुमाऊं नमकीन की जबरदस्त मांग है.

देवकी जोशी ने साल 1995 में स्थानीय स्तर पर नमकीन तैयार कर इसे स्वरोजगार का जरिया बनाने की ठानी थी. इसके बाद उन्होंने घर पर ही नमकीन बनाने का काम शुरू किया और वह खानपान से जुड़ी हर दुकान पर जाकर अपनी नमकीनों को बेचने लगीं.

शुरुआत में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन वह हार कहां मानने वाली थीं. बिक्री से होने वाली बचत से उन्होंने अपने कारोबार को और आगे बढ़ाया. कुछ ही साल में उनकी मेहनत रंग लाई और उनकी नमकीन जिले भर की दुकानों पर बिकने लगी.

पर्वतीय इलाकों के अनाज से बनी नमकीन की बाजार में काफी मांग रहती है. देवकी जोशी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करवा रही हैं. उनकी इस मेहनत के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है. उन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

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