उत्तराखंड

15 दिन में तैयार हो जाएगी मेडिकल डिवाइस पार्क की DPR, यहां बनेगा नॉर्थ इंडिया का पहला पार्क

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नोएडा. मेडिकल डिवाइस पार्क बनने का सपना जल्द पूरा होने जा रहा है. 15 दिन में पार्क की डीपीआर (DPR) बनकर तैयार हो जाएगी. यमुना अथॉरिटी के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि डीपीआर आते ही उसे केन्द्र सरकार (Central Government) को भेज दिया जाएगा. इस मामले में डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल (Pharmaceuticals) मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स की सचिव एस अपर्णा  के साथ मीटिंग भी हो चुकी है. मेडिकल डिवाइस पार्क (Medical Device Park) में एक हजार से लेकर 10 हजार वर्गमीटर तक के 89 प्लाट होंगे. पार्क में 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने के साथ ही हजारों लोगों को रोजगार (Employment) भी मिलेगा.

फ्लैटेड फैक्ट्री कॅस्नेप्ट पर बनेगा मेडिकल  डिवाइस पार्क

जानकारों की मानें तो फ्लैटेड फैक्ट्री का कॅन्सेप्ट विदेशी है. इसके तहत फ्लैटनुमा बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जाता है. इमारत के हर फ्लोर पर काम के हिसाब से स्ट्राक्चर तैयार किया जाता है. जैसे जूता सिलाई, रेडीमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक-इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट, हैंडीक्राफ्ट, फैशन डिजाइन, आईटी सेक्टर से जुड़े केपीओ, बीपीओ, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डिजाइनिंग, असेंबलिंग की छोटी फैक्ट्रियां आदि. खास बात यह है कि फ्लैटेड फैक्ट्रियों में काम से जुड़े जरूरी संसाधन पहले से ही स्थापित होते हैं. इसी तर्ज पर मेडिकल डिवाइस पार्क भी तैयार किया जाएगा.

संसाधनों के साथ किराए पर मिल जाती है फैक्ट्री

जानकारों की मानें तो फ्लैटेड फैक्ट्री कॉन्सेप्ट से ऐसे कारोबारी भी कारोबार शुरु कर सकते हैं जिनके पास कम पूंजी है. ज़मीन खरीदने और फैक्ट्री बनवाने से लेकर उसका स्ट्राक्चर तक तैयार कराने लायक लागत नहीं है. ऐसे में फ्लैटेड फैक्ट्री कॅन्सेप्ट बहुत ही काम आता है. इसके तहत अपने काम के हिसाब से फैक्ट्री में पहले से तैयार फ्लोर किराए पर लेकर काम शुरु किया जा सकता है.

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मेडिकल पार्क में ऐसे मिलेगा कारोबार का मौका

मेडिकल डिवाइस पार्क में कारोबार करने के लिए पहले से निर्धारित कुछ शर्तों का पालन करना होगा. शर्त पूरी करने के बाद ही आवेदक को प्लॉट का आवंटन किया जाएगा. सबसे पहले तो यह कि आवेदन करने वाली कंपनी का फार्मा में रजिस्ट्रेशन हो. कंपनी वर्ल्ड लेवल की होनी चाहिए. या फिर कंपनी पहले से ही इस फील्ड में काम कर रही हो. मेडिकल डिवाइस पार्क में इलेक्ट्रोनिक डिवाइस के साथ-साथ रेडियोलॉजिकल डिवाइस भी बनाई जाएंगी. मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के पीछे सरकार की मंशा है कि कोरोना के दौरान हुए अनुभव को देखते हुए भारत इस फील्ड में आत्मनिर्भर बने.

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