उत्तराखंड

पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद: करीब तीन माह बाद भारत-चीन में 12वें दौर की वार्ता आज, क्या निकलेगा कोई हल?

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नई दिल्ली. भारत और चीन तीन महीने के लंबे अंतराल के बाद शनिवार की सुबह मोल्डो में कोर-कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता के 12वें दौर का आयोजन करने के लिए तैयार हैं. इससे पहले 9 अप्रैल को एलएसी से भारतीय सीमा की ओर चुशुल सीमा बिंदु पर करीब 13 घंटे चली 11वें दौर की वार्ता का कोई सकारात्मक नतीजा सामने निकलकर नहीं आया था. 11वें दौर की वार्ता के दौरान, चीन ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा पोस्ट और देपसांग मैदानों से अपने सैनिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया था, जो दोनों पक्षों के बीच तनाव के केंद्र बने हुए हैं. इसी साल फरवरी में दोनों पक्षों ने सिलसिलेवार सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ता के बाद पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों को हटाने की प्रक्रिया फरवरी में पूरी कर ली थी.

सूत्रों ने बताया कि वार्ता का पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से चीन की ओर मोल्डो सीमा बिंदु पर पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे शुरू होने का कार्यक्रम है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे, जो लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर हैं. बारहवें दौर की वार्ता विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा अपने चीनी समकक्ष वांग यी को इस बात से दो टूक अवगत करा देने के करीब दो हफ्ते बाद हो रही है कि पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति के लंबा खींचने का प्रभाव द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक रूप से पड़ता नजर आ रहा है. दोनों विदेश मंत्रियों ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 14 जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक बैठक से अलग एक घंटे की द्विपक्षीय बैठक की थी.

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2020 के सभी निर्णय लेने में शामिल एक उच्च पदस्थ सूत्र ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया था कि हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट में पैट्रोलिंग पॉइंट 15 और PP-17A से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए चीन ‘पहले राजी हो गया था’, लेकिन बाद में उन्होंने इन स्थानों को छोड़ने से इनकार कर दिया. सूत्रों के मुताबिक आखिरी दौर की बातचीत में चीन ने कहा था कि भारत को ‘जो हासिल हुआ है उससे खुश होना चाहिए.’

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11वें दौर की वार्ता के बाद, भारतीय सेना ने कहा था कि दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार लंबित मुद्दों को जल्द-से-जल्द हल करने की जरूरत पर सहमत हुए हैं. उन्होंने एक बयान में कहा था, “दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों की वापसी से संबंधित शेष मुद्दों के समाधान के लिए विचारों का विस्तृत आदान-प्रदान किया.’

गौरतलब है कि पिछले साल अप्रैल-मई में, चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में तेजी से अपने सैनिकों को भेजा और कई स्थानों पर घुसपैठ की थी. पूर्वी लद्दाख में स्थिति इस हद तक खराब हो गई थी कि चार दशकों से अधिक समय के बाद चीन की सीमा पर गोलियां चलाई गईं और पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में अपने मृतक जवानों की संख्या छुपा रहे चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. पिछले साल मई के बाद से ही पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों पर दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ है. दोनों देशों के इस समय एलएसी पर संवेदनशील क्षेत्र में 50,000 से 60,000 सैनिक हैं.

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