बिल्डर को लाखों-करोड़ों देने के बाद भी हैं किराए के मकान में, फ्लैट मिला तो रजिस्ट्री नहीं हुई
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नोएडा. “8-10 साल पहले हमने बिल्डर्स (Builders) को फ्लैट का 90 फीसद तक भुगतान कर दिया. लेकिन आज तक हमे फ्लैट नहीं मिला. अपना घर होते हुए भी हम किराए के मकान में रहकर रेंट और ईएमआई दोनों भर रहे हैं. उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) के आदेश को बिल्डर्स घुमा देते हैं. फ्लैट (Flat) कम्पलीट करने के लिए और रुपये मांगते हैं.” “हम अगर अपनी बात करें तो हम बिल्डर को फ्लैट का पूरा भुगतान कर चुके हैं. बिल्डर ने कब्जा भी दे दिया, लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद भी आज तक हमे फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं मिली है. हमारी इस परेशानी पर नोएडा (Noida) और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) भी खामोश हैं.”
गौरतलब रहे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में यह कहानी किसी एक-दो परिवार की नहीं है. हर सोसाइटी में आपको बिल्डर्स की इस तरह की मनमानी के शिकार लोग मिल जाएंगे. इतना ही नहीं जिनके पास अपने फ्लैट और उसकी रजिस्ट्री है तो बिजली के कनेक्शन और मेंटीनेंस चार्ज को लेकर आए दिन बिल्डर्स के साथ टकराव के हालात बने रहते हैं.
रेरा के आदेशों को भी ठेंगा दिखा रहे बिल्डर्स- रफी अहमद
शुभकामना सिटी फ्लैट ओनर्स के जरनल सेक्रेटरी रफी अहमद का कहना है, “हमारी सोसाइटी में 10 साल बाद भी फ्लैट के नाम पर स्ट्रक्चर खड़ा हुआ है. 95 फीसद पैसा लेने के बाद भी हमारे साथ बेईमानी की गई. रेरा में जाने के बाद इंसाफ भी मिला तो अब रेरा द्वारा नियुक्त आईआरपी अतिरिक्त पैसा मांग रहा है. हमारी सोसाइटी के सैकड़ों लोग ऐसे हैं जो अपने घर के सामने ही किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं. हालत यह है कि रेंट भी दे रहे हैं और बैंक की ईएमआई भी भर रहे हैं.”
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अथॉरिटी एक्शन क्यों नहीं ले रहीं बिल्डर्स के खिलाफ-नेफोमा
नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन (नेफोमा) अध्यक्ष अन्नू खान का कहना है, “जब कोई भी बिल्डर अपना प्रोजेक्ट तैयार करता है तो काम पूरा होने के बाद और अथॉरिटी का सभी तरह का बकाया चुकाने के बाद उसे अथॉरिटी की ओर से कम्पलीशन सर्टिफिकेट मिलता है. इस सर्टिफिकेट के बाद ही बिल्डर फ्लैट बुक कराने वाले बॉयर्स को फ्लैट पर कब्जा दे सकता है.
https://www.youtube.com/watch?v=0W41pzog6gw
लेकिन बहुत सारे बिल्डर ने बिना कम्पलीशन सर्टिफिकेट के ही बॉयर्स को कब्जा दे दिया है. लेकिन ऐसे मामलों पर अथॉरिटी भी खामोश है. रेरा चेयरमैन से भी मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन कहीं से भी कोई राहत नहीं मिल रही है. कोरोना-लॉकडाउन के दौरान बुरी से बुरी मुसीबत में भी ऐसे लोग रजिस्ट्री न होने पर अपने फ्लैट को नहीं बेच सके और उनके अपने बिना इलाज के इस दुनिया को छोड़कर चले गए.”
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