उत्तराखंड

रोकने के बाद भी रेलवे यूनिवर्सिटी ने बोर्ड के मेंबर को दे दिया करोड़ों का ठेका- रिपोर्ट

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नई दिल्ली. रेलेव यूनिवर्सिटी (Railway University)ने ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट’  यानी ‘हितों के टकराव’ को दरकिनार करते हुए शिक्षाविद् प्रमथ राज सिन्हा की फर्म्स को 6 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया. इतना ही नहीं इस फैसले का अधिकारियों ने विरोध भी किया तब भी इस पर रोक नहीं लगाई गई. बताया गया कि सिन्हा, विश्वविद्यालय की प्रबंधन समिति के सदस्य भी हैं. सिन्हा की कंपनी 9dot9 को सरकार के एक डीम्ड विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (NRTI) के लिए कॉन्ट्रैक दिया गया है.  दिसंबर 2021 तक के लिए सिन्हा की कंपनी को जीएसटी के साथ प्रतिमाह का 65 लाख रुपये कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है. यह कॉन्ट्रैक्ट 9 महीने का है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार रेलवे के अधिकारियों के रोकने के बाद भी सिन्हा की फर्म को कॉन्ट्रैक्ट देने का फैसला हुआ.

रिपोर्ट के अनुसार इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के संस्थापक डीन, सिन्हा – अशोक विश्वविद्यालय के संस्थापकों और ट्रस्टियों में से हैं. वह डीम्ड यूनिवर्सिटी NRTI और वडोदरा में ‘रेलवे विश्वविद्यालय’ की स्थापना में शामिल रहे हैं. सिन्हा की 9dot9 कंसल्टेंसी यूएस लॉबी फर्म अलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप की रणनीतिक साझेदार भी है. इस कंपनी के अगुवा पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री मेडेलीन अलब्राइट हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया कि संस्थान द्वारा सिन्हा की फर्म्स को दिया गया यह दूसरा कॉन्ट्रैक्ट है .

इससे पहले भी मिले रेलवे के कॉन्ट्रैक्ट
पिछले साल ‘हड़प्पा एजुकेशन’ को रेलवे अधिकारियों को मैनेजमेंट प्रैक्टिस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ट्रेनिंग देने का काम मिला. रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट करीब दो साल के लिए है और भुगतान अधिकारियों की भागीदारी के आधार पर होता है. सूत्रों ने बताया कि अब तक करीब 40 लाख रुपये जारी किए जा चुके हैं. सिन्हा , हड़प्पा एजुकेशन के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.

उधर मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट की बात करें तो जब अधिकारियों ने लिखित रूप में कहा कि उसे जीएफआर में निर्धारित ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट’ के प्रावधानों का पालन करना चाहिए उसके बाद भी 9dot9 को रेलवे बोर्ड ने 8 अप्रैल को कॉन्ट्रैक्ट को मंजूरी दी. इसके बाद जब 9dot9 के कॉन्ट्रैक्ट को कागजी कार्रवाई के जरिए औपचारिक रूप दिया जाना था, तब जून में भी इस पर सवाल उठाए गए. रिपोर्ट के अनुसार NRTI की अंतरिम कुलपति अलका अरोड़ा मिश्रा, ने इस मामले में कहा कि वह सब कुछ नियमों और प्रक्रिया के तहत हुआ है.

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