EXCLUSIVE: PM मोदी के भाषण के बाद CM योगी ने निकाली बुकलेट, बताया कैसे औरंगजेब ने काशी मंदिर का किया विध्वंस
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नई दिल्ली. योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) की ओर से ‘काशी विश्वनाथ धाम’ परियोजना (Kashi Vishwanath Dham Project) पर 52 पन्नों की पुस्तिका तैयार की गई है. इस पुस्तिका में औरंगजेब (Aurangzeb), मोहम्मद गौरी (Mohammad Ghori) और सुल्तान मोहम्मद शाह (Sultan Mohammed Shah) जैसे शासकों द्वारा बाबा विश्वनाथ मंदिर में किए गए हमले का भी जिक्र किया गया है. आध्यात्मिक और धार्मिक नगरी में बने इस मंदिर पर कई बार हमले हुए हैं. इसका नामो-निशान मिटा देने की कोशिश की गई. हालांकि, इस पवित्र नगरी के कण-कण में बसे भोले पर लोगों की आस्था ने इसे हर बार खड़ा कर दिया. ‘श्री काशी विश्वनाथ धाम का गौरवशाली इतिहास और वर्तमान भव्य स्वरूप’ शीर्षक वाली इस पुस्तिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश है, जिसमें पीएम ने कहा है कि इस परियोजना से ऐतिहासिक समय की तरह ही गंगा घाट से सीधे मंदिर में जाना संभव हुआ है.
श्री काशी विश्वनाथ धाम का गौरवशाली इतिहास और वर्तमान भव्य स्वरूप’ शीर्षक वाली इस पुस्तिका का 37 पृष्ठ का संस्करण वाराणसी के सभी घरों में वितरित किया जा रहा है. इस पुस्तिका के छह अध्यायों के जरिए काशी के महत्व, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के इतिहास, पीएम मोदी के नेतृत्व में काशी के विकास, काशी विश्वनाथ धाम के नए आकार, काशी विश्वनाथ धाम के महत्व और काशी के अन्य मंदिरों के बारे में बताया गया है.
13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ धाम में अपने भाषण में प्रधान मंत्री ने औरंगजेब के बारे में बताते हुए कहा था कि कैसे आक्रमणकारियों ने काशी शहर को नष्ट करने की कोशिश की थी. बुकलेट में बताया गया है कि 18 अप्रैल, 1669 को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने का आदेश जारी किया था. औरंगजेब की ओर से दिया गया आदेश आज भी कोलकाता के एशियाई पुस्तकालय में संरक्षित है.
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बुकलेट में लेखक साकी मुस्तैद खान की पुस्तक में विध्वंस से जुड़े वर्णन का जिक्र करते हुए बताया कि जिस तरह औरंगजेब ने आदेश दिया था कि मंदिर को न केवल तोड़ा जाए बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मंदिर फिर कभी न बन पाए. यही कारण है कि औरंगजेब ने मंदिर के गर्भगृह को भी तोड़ दिया था और यहां पर मस्जिद बनाने का भी आदेश दिया था. बुकलेट में दावा किया गया है कि औरंगजेब को 2 सितंबर, 1669 को मंदिर के ध्वस्त करने की सूचना भी दी गई थी.
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बुकलेट के जरिए बताया गया है कि इससे पहले 1194 में मोहम्मद गौरी ने सैयद जमालुद्दीन के जरिए मंदिर को ढहा दिया था. बुकलेट में बताया है कि बाद में सनातन समाज ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया. पुस्तिका में कहा गया है कि मंदिर को एक बार फिर 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था. मंदिर को फिर से 1585 में राजा टोडरमल की मदद से बनाया गया था जो अकबर शासन में मंत्री थे. नारायण भट्ट ने तब मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था. बुकलेट में बताया गया है कि 1632 में शाहजहां ने भी मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया था और सेना भेज दी थी, लेकिन हिंदुओं के विरोध के कारण मुख्य मंदिर को बलों द्वारा छुआ नहीं जा सका लेकिन तब काशी के 63 अन्य मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था.
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1669 में औरंगजेब के मंदिर के विनाश के बाद, मराठा नेता दत्ताजी सिंधिया और मल्हारराव होल्कर ने 1752 और 1780 के बीच, और 1770 में महादजी सिंधिया ने दिल्ली में मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय यानी अली गौहर ने मंदिर विध्वंस की क्षतिपूर्ति वसूलने का आदेश भी जारी कर दिया. लेकिन तब तक काशी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया और मंदिर का काम रुक गया. महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के गुंबद को सोने की चादर से ढंक दिया, ग्वालियर की महारानी बैजबाई ने मंडप बनवाया, जबकि नेपाल के महाराजा ने यहाँ एक बड़ी नंदी प्रतिमा स्थापित की. बुकलेट में बताया गया है कि 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट वाटसन ने ‘वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल’ को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने के लिए कहा था, लेकिन यह कभी संभव ही नहीं हो पाया.
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Tags: CM Yogi Adityanath, Kashi Vishwanath, Kashi Vishwanath Dham, Narendra modi, Pm narendra modi
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