उत्तराखंड

EXPLAINED: जम्मू में CBI कर रही है आर्म्स रैकेट की जांच, कैसे दिए जाते हैं लाइसेंस? जानें सबकुछ

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नई दिल्ली. अवैध रूप से हथियार लाइसेंस (Arms License) देने के मामले की जांच के संबंध में शनिवार को सीबीआई ने उधमपुर के उपायुक्त रहे शाहिद चौधरी के परिसरों की तलाशी ली थी. इसके अलावा एजेंसी ने उनके जफर चौधरी के परिसरों की भी तलाशी ली थी. जफर चौधरी ने कहा कि जम्मू कश्मीर का उधमपुर सेना की उत्तरी कमान का मुख्यालय है इसलिए रिटायर्ड होने वाले सैनिकों की ओर से कई आवेदन प्राप्त होते हैं. उन्होंने कहा कि 2012-16 के बीच उधमपुर जिले में 36,000 शस्त्र लाइसेंस जारी किये गए जिनमें से लगभग 1, 700 (लगभग चार प्रतिशत) लाइसेंस भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शाहिद चौधरी के कार्यकाल में जारी हुए थे.

सीबीआई ने अवैध शस्त्र मामले में शनिवार को जम्मू कश्मीर और दिल्ली में 40 स्थानों पर तलाशी ली जिसमें शाहिद चौधरी और एक अन्य आईएएस अधिकारी नीरज कुमार के परिसर शामिल हैं. आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर नियमों का उल्लंघन कर तत्कालीन राज्य में उन लोगों को शस्त्र लाइसेंस दिए, जो राज्य के निवासी नहीं थे. साल 2012 से लेकर 2016 के बीच 2.78 लाख लाइसेंस दिए गए. आखिर क्या है आर्म लाइसेंस देने के नियम इसे आसान भाषा में समझेत हैं.

भारत में शस्त्र लाइसेंस कौन जारी कर सकता है?

शस्त्र अधिनियम, 1959 और शस्त्र नियम, 2016 के प्रावधानों के अनुसार भारत में व्यक्तिगत उपयोग के लिए विशिष्ट श्रेणियों के हथियारों के लिए लाइसेंस प्रदान किया जाता है. केंद्र ने कहा है कि प्रतिबंधित श्रेणी के हथियारों के लिए लाइसेंस केंद्रीय गृह मंत्रालय के तरफ से दी जाती है. जबकि दूसरी श्रेणी के हथियारों के लाइंसेंस संबंधित राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश से दी जाती है.

कौन ले सकता है लाइसेंस?

शस्त्र अधिनियम और शस्त्र नियम, 2016 – जिसने शस्त्र नियम, 1962 की जगह ले ली – इसे अवैध हथियारों का उपयोग करके हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. शस्त्र अधिनियम की धारा 3 किसी व्यक्ति को हथियार प्राप्त करने या धारण करने से रोकती है जब तक कि वो इस संबंध में अधिनियम के प्रावधानों और इसके तहत निर्धारित नियमों के अनुसार जारी लाइसेंस नहीं रखता है. हथियार लाइसेंस के लिए आवेदक को ये साबित करना होगा कि वो अपने व्यवसाय, पेशे, नौकरी या किसी औऐर चीज के कारण कारण अपने जीवन या संपत्ति की रक्षा करने की वास्तविक आवश्यकता. ये नियम उन लोगों पर लागू होता है जो अपनी फसलों की रक्षा के लिए हथियार की तलाश कर सकते हैं.

किस तरह के हथियारों के लिए मिलता है लाइसेंस?

भारत का आर्म्स एक्ट आग्नेयास्त्रों को दो हिस्से में बांटता है- निषिद्ध बोर और गैर-निषिद्ध बोर. बोर बुलेट की मोटाई या व्यास को दिखाता है और भारत में गैर-निषिद्ध बोर हथियारों में .35, .32, .22 और .380 कैलिबर के हथियार शामिल हैं, जो ‘आमतौर पर एक इंच (.22 कैलिबर) के सौवें हिस्से में व्यक्त किया जाता है) या मिलीमीटर (9 मिमी) में’

प्रतिबंधित बोर वाले हथियारों में पिस्टल (9 mm) और .38, .455 कैलिबर और .303 राइफल जैसी बंदूकें शामिल हैं. भारत में प्रतिबंधित हथियारों में सेमी-ऑटोमेटिक और फुली ऑटोमेटिक गन भी शामिल हैं. आर्म्स एक्ट उन हथियारों को बैन किया गया है, जिनमें, ‘ट्रिगर दबाने पर तबतक गोलियां निकलती रहती हैं, जब तक कि ट्रिगर से उंगली हटा नहीं ली जाती या फिर मैगज़ीन खाली नहीं हो जाती’. इन हथियारों में आर्टिलरी, एंटी-एयरक्राफ्ट और एंटी टैंक हथियार भी शामिल हैं.

भारत में कितने लाइसेंस प्राप्त हथियार हैं?

आर्म्स एक्ट में कहा गया है कि एक व्यक्ति अधिकतम तीन लाइसेंसी हथियार रख सकता है. हालांकि, शस्त्र (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने किसी शख्स के लिए लाइसेंस प्राप्त हथियारों की संख्या को घटाकर दो कर दिया है. इसके अलावा यह भी निर्धारित किया गया था कि ‘भारतीय नागरिकों के लिए क्यूरियो की श्रेणी में आने वाले छोटे हथियारों के अधिग्रहण के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है’.

संसद में एक प्रश्न के उत्तर के अनुसार, जुलाई 2019 तक सरकार के राष्ट्रीय शस्त्र लाइसेंस-शस्त्र लाइसेंस प्रणाली (NDAL-ALIS) पोर्टल पर 36.6 लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस रजिस्टर्ड किए गए थे.

इसके अलावा केंद्र ने पिछले साल संसद को बताया कि जनवरी 2018 और सितंबर 2020 के बीच देश भर में 22,804 आर्म्स लाइसेंस जारी किए गए. इसमें 17,905 लाइसेंस अकेले जम्मू-कश्मीर में जारी किए गए, यानी देश के हर पांच में से चार लाइसेंस जम्मू-कश्मीर में जारी किए गए.

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