उत्तराखंड

कोरोना पर फोकस सही लेकिन डेंगू और मलेरिया के मरीज बढ़े तो होगी मुश्किल, बोले विशेषज्ञ

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नई दिल्‍ली. देश में कोरोना की दूसरी लहर अभी भी थमी नहीं है. देश के कुछ राज्‍यों में अभी भी कोरोना के नए मामलों की बड़ी संख्‍या रोजाना सामने आ रही है. इतना ही नहीं देश में मानसून आने के बाद डेंगू (Dengue), मलेरिया (Malaria) और चिकुनगुनिया (Chikungunya) का भी खतरा बढ़ गया है. जहां तक दिल्‍ली की बात है तो जनवरी से मई तक यहां 29 डेंगू के मरीज सामने आ चुके हैं जो कि पिछले तीन साल की तुलना में ज्‍यादा हैं.

स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की तीसरी संभावित लहर (Covid third Wave) और दूसरी लहर में सामने आ रहे मामलों के दौर में डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया जैसी बीमारियां नई मुसीबत पैदा कर सकती हैं. इनके अलावा वायरल फीवर (Viral Fever) और फ्लू के मामले भी लगातार चलते रहते हैं; हालांकि प्रशासन और आम लोगों के स्‍तर पर अगर वैक्‍टर बॉर्न डिजीज (Vector Borne Diseases) को लेकर भी सावधानी बरती जाए तो काफी हद तक हालात ठीक रह सकते हैं.

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) से रिटायर्ड पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट डॉ. सतपाल कहते हैं कि पिछले साल से देश में कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा है हालांकि कोरोना के चलते कुछ बड़ी बीमारियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इस मौसम में हर साल डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के मामले देशभर में आते हैं और अभी भी इनकी संभावना बनी हुई है. अभी बारिश का मौसम आया है ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के साथ ही डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया की चुनौती भी सामने है.

 पिछले साल देशभर में डेंगू के कुल 39419 मामले सामने आए थे जो कि साल 2019 के मुकाबले तो काफी कम थे ही 2015 के बाद सबसे कम केस भी थे.

पिछले साल देशभर में डेंगू के कुल 39419 मामले सामने आए थे जो कि साल 2019 के मुकाबले तो काफी कम थे ही 2015 के बाद सबसे कम केस भी थे.

डॉ. सतपाल कहते हैं कि पिछले साल देशभर में डेंगू के कुल 39419 मामले सामने आए थे जो कि साल 2019 के मुकाबले तो काफी कम थे ही 2015 के बाद सबसे कम केस भी थे. हालांकि उन आंकड़ों को देखकर यह अनुमान भी लगाना संभव है कि पिछले साल कोरोना के चलते लॉकडाउन और तमाम कोविड अनुरूप व्‍यवहार के चलते लोगों ने साफ-सफाई पर विशेष ध्‍यान दिया.

वे कहते हैं कि पिछले साल न केवल कोरोना को लेकर बल्कि किसी भी बीमारी को लेकर भी लोग सतर्क थे इसके अलावा इम्‍यूनिटी बढ़ाने और सतर्कता के तौर पर उपायों को भी कर रहे थे. यहां तक कि सरकार की ओर से भी लगातार लोगों को जागरुक किया जा रहा था, जिसका असर हुआ कि मच्‍छर जनित बीमारियां भी कम हुईं.

हालांकि अगर इस साल की बात करें तो यह पिछले साल से अलग है. अभी लॉकडाउन भी नहीं है, लोग पहले के मुकाबले ए‍हतियात बरतने में भी ढील कर रहे हैं, फिर चाहे वह कोविड को लेकर हो या अन्‍य बीमारी को लेकर. इस साल देश में मई 31 तक डेंगू के 6837 मामले आए हैं जो पिछले सालों के मुकाबते काफी कम दिखाई दे रहे हैं लेकिन दिल्‍ली में पिछले साल के मुकाबले डेंगू मरीजों की संख्‍या बढ़ी है.

पिछले साल के मुकाबले दिल्‍ली में बढ़े डेंगू के मरीज

दिल्लीवासियों को मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू के खतरे से कोई राहत नहीं मिली है, (प्रतीकात्‍मक)

दिल्लीवासियों को मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू के खतरे से कोई राहत नहीं मिली है, (प्रतीकात्‍मक)

एनसीडीसी के वर्तमान निदेशक डॉ. सुजीत कुमार सिंह कहते हैं कि दिल्‍ली में इस साल डेंगू के जनवरी से मई 2021 तक 29 मरीज सामने आए हैं जो कि पिछले तीन साल में सबसे ज्‍यादा है. दक्षिणी दिल्‍ली नगर निगम की वैक्‍टर बॉर्न डिजीज पर आई रिपोर्ट बताती है कि 2020 में डेंगू के मामले मई तक 19 थे. वहीं 2019 में 11 और 2018 में 22 केस थे. ऐसे में तय है कि इस बार दिल्‍ली में संख्‍या बढ़ी है.

डॉ. सुजीत कहते हैं कि चूंकि कोरोना महामारी है ऐसे में निश्‍चित रूप से उस पर फोकस किया जा रहा है लेकिन डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारियों पर भी ध्‍यान देना जरूरी है नहीं तो ये मुश्किल बन सकती है. इसके लिए शहरों में जमा पानी को हटाने के साथ ही ग्रामीण इलाकों में गंदगी में पैदा होने वाले मच्‍छरों को मारने के लिए उपाय किए जाने चाहिए.

वहीं डॉ. सतपाल कहते हैं कि कोरोना की पहली और दूसरी लहरों के दौरान दिल्‍ली के कुछ प्राइवेट अस्‍पतालों में ऐसे मरीज सामने आए थे जिन्‍हें कोरोना भी हुआ था और डेंगू की चपेट में भी आ गए थे. ऐसे मामले काफी क्रिटिकल हो गए थे और ऐसे मरीजों का अस्‍पताल में ही इलाज संभव है. ऐसे में किसी भी तरह डेंगू और कोरोना के मिक्‍स न पनपने देना भी बड़ी चुनौती है.

शहरों में डेंगू और ग्रामीण इलाकों में मलेरिया का खतरा

वहीं भारत सरकार के नेशनल वैक्‍टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NVBDCP) से जुड़े एक विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत के शहरी इलाकों में डेंगू जबकि ग्रामीण इलाकों में मलेरिया का खतरा ज्‍यादा रहता है. देश के दक्षिणी राज्‍यों और उत्‍तर मध्‍य भारत में भी डेंगू के मामले सबसे ज्‍यादा सामने आते हैं. यही वजह है कि शहरों में कूलर, एसी या घरों के गमलों में भरे साफ पानी में पनपने वाले लार्वा को हटाने को लेकर विशेष फोकस किया जाता है.

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