1979 के बाद पहली बार स्वतंत्रता दिवस के दिन असम में किसी उग्रवादी संगठन ने नहीं बुलाया बंद: CM हेमंत बिस्वा सरमा
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गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि दशकों में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब असम में उल्फा समेत किसी उग्रवादी संगठन के आहूत बंद के बिना स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने ने उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) (आई) के प्रमुख परेश बरुआ से वार्ता की मेज पर आने की अपील की. वे 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गुवाहाटी में आयोजित राज्य के समारोह में बोल रहे थे.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘जनभागीदारी के सिद्धांतों पर सही मायने में हमारी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए मैं असम के लोगों को सलाम करता हूं. यह महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है कि इस स्वतंत्रता दिवस पर किसी भी संगठन द्वारा बंद का आह्वान नहीं किया गया था.’ उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण विकास 1979 के बाद पहली बार हुआ है और आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है.
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उन्होंने कहा, ‘मैं असम के लोगों की ओर से परेश बरुआ से अपील करता हूं कि वह वार्ता के लिए आगे आएं. हमारे राज्य के किसी और युवा की इस कारण मौत नहीं होनी चाहिए.’ सरमा ने आगे कहा, ‘पूरे पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता लाने के लिए यह प्रमुख मील का पत्थर सबका साथ, सबका विकास के माध्यम से #सबका प्रयास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों का प्रतिबिंब है.’
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर कई दशकों से असम बंद का आह्वान करते आ रहे उल्फा (आई) ने इस साल पहली बार ऐसा नहीं किया. संगठन ने वैश्विक महामारी की स्थिति को देखते हुए इस साल मई से एकतरफा संघर्ष विराम की भी घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने इससे पहले इस साल मई में सत्ता संभालने के बाद भी बरुआ से शांति वार्ता के लिए आगे आने का आग्रह किया था.
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