उत्तराखंड

Gaya Pitri Paksha 2021: कैसे पिंडदान करेंगे श्रद्धालु? मारणपुर से अक्षयवट तक का रास्ता बेहद खराब

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गया. बिहार के गया (Gaya) में अगले दो दिन तक देश के कोने-कोने से अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए काफी संख्या में पिंडदानी आएंगे. लेकिन पिंडदान (Pind Daan) के लिए मारणपुर से अक्षयवट तक जाने का रास्ता बेहद खराब है. स्थानीय लोगों ने बताया कि बुडको ने पेय जलापूर्ति (Water Supply) के लिए चार-पांच महीने पहले रास्ते की खुदाई कर उसे यूं ही छोड़ दिया है. बरसात का मौसम होने के कारण पूरा रास्ता कीचड़युक्त हो गया है जिससे इस रास्ते से गुजरना मुश्किल हो गया है. ऐसे में सवाल है कि हजारों की संख्या में जो लोग यहां पिंडदान करने के लिए आएंगे वो कैसे जा पाएंगे.

दरअसल सनातन पंचांग के अनुसार 20 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत होगी. पितृपक्ष में काफी संख्या में लोग पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करने गया आते हैं. शास्त्रों के अनुसार एक दिन का पिंडदान या 17 दिनों का पिंडदान अक्षयवट में ही करना होता है. लेकिन बुडको की लापरवाही के कारण पिंडदान करने पर संशय मंडरा रहा है. विष्णुपद मंदिर से अक्षय वट आने के लिए 10 मिनट का सफर तय करना पड़ता है. लेकिन सड़क चलने योग्य नहीं होने से पिंडदानियों को यहां आने के लिए तीन किलोमीटर घूम कर आना पड़ेगा जिससे उन्हें काफी परेशानी होगी.

एक स्थानीए युवक ने बताया कि चार से पांच महीने से रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. पाइप बिछाने के नाम पर इतने समय से काम चल रहा है जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. साथ ही पितृपक्ष मेले के दौरान आने वाले तीर्थ यात्रियों को भी इससे काफी दिक्कत होगी. कई बार अधिकारी यहां निरीक्षण के लिए आते हैं लेकिन देख कर चले जाते हैं.

गया समेत देश भर में पांच स्थान पर अक्षयवट

अक्षयवट पिंडवेदी के पंडा सुनील कुमार दुबहलिया बताते हैं कि पूरे देश में पांच स्थान पर अक्षयवट है, जिसमें से एक गया में है. पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए विष्णुपद फल्गु नदी के तट और अक्षयवट में पिंडदान करने का काफी महत्व है, पिंडदानी कहीं पर भी पिंडदान करते हैं लेकिन अंत में पितर यहीं आकर बैठते हैं, और यहां सुफल मिलता है. उन्होंने बताया कि अक्षयवट का संबंध माता सीता से है. कहा जाता है कि जब राम, लक्ष्मण और माता सीता गया में पिंडदान करने आए थे तब एक ऐसी घटना घटित हुई कि भगवान राम भी उसपर भरोसा नहीं कर पाए. दोनों भाई जब पिंडदान की सामग्री लाने नगर में चले गए तो माता सीता फल्गु नदी के जल और रेट से अटखेलियां करने लगीं थीं. इस दौरान अकाशवाणी हुई कि बेटी मुझे पिंड दे दो, कहकर राजा दशरथ ने हाथ फैलाया. उस वक्त माता सीता के पास कुछ नहीं था, फिर उन्होंने फल्गु नदी, ब्राह्मण, गाय, तुलसी और अक्षयवट को साक्षी मानकर बालू का पिंडदान दिया. इसके बाद जब राम और लक्ष्मण वापस लौटे तो सीता ने उन्हें पूरा वृतांत सुनाया.

मगर इसको सुनने के बाद दोनों भाइयों को विश्वास नहीं हुआ. तभी श्री राम और लक्ष्मण को भरोसा दिलाने के लिए जब माता सीता ने फल्गु नदी, ब्राह्मण, तुलसी और गाय से पूछा लेकिन सभी ने नकार दिया. इसके बाद केवल अक्षयवट ने सारी घटना दोनों भाइयों को बताई. नाराज सीता ने चारों को श्राप दे दिया और अक्षयवट को उन्होंने अमर रहने का वरदान दिया था. इसके कारण ही पितर यहीं आकर बैठते है, और यहां से पितरों की विदाई होती है.

पाइपलाइन बिछाने के कारण सड़क की हुई थी खुदाई

वहीं, इस संबंध में नगर निगम आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि माड़नपुर से अक्षयवट और केंदुई से माड़नपुर तक जलापूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाया जा रहा था. पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा हो चुका है. अब इन सड़कों का मरम्मत करने का काम शुरू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पितृपक्ष शुरू होने तक पोर्टबल सड़क बनाया जाएगा, उसके बाद स्थायी सड़क बना दिया जाएगा.

बता दें कि कोरोना महामारी को लेकर इस बार भी राजकीय पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं किया गया है. लेकिन सरकार के द्वारा जो भी पिंडदानी, पिंडदान करने के लिए आते हैं उन्हें रोका नहीं जाएगा. हालांकि उन्हें सरकार द्वारा पहले से तय गाइडलाइन का पालन करते हुए पिंडदान करने की अनुमति होगी.

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