उत्तराखंड

विधानसभा चुनाव की जमीनी खबरें-4: अतरौली में इन दिनों एक सवाल बड़ा है, कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने अखिलेश क्यों नहीं आए?

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(अमन शर्मा की रिपोर्ट)

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (Aligarh, UP) जिले की अतरौली विधानसभा सीट (Atarauli Assembly Seat) पर इन दिनों भावनात्मक सवाल चर्चा का विषय है. चूंकि विधानसभा के चुनाव (Assembly Elections) हैं और चुनावी मौसम में भावना से जुड़े मसले भी नतीजा उलट-पलट दिया करते हैं, इसीलिए. तो यहां ऐसी ही भावनाओं से जुड़ा सवाल अभी ये है कि बीते साल जब ‘बाबूजी’ कल्याण सिंह (Babuji, Kalyan Singh) का निधन हुआ, तब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) उन्हें श्रद्धांजलि देने क्यों नहीं आए? कल्याण सिंह चूंकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बड़े नेता रहे हैं, इसलिए जाहिर है यह सवाल भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं की ओर से ही उठाया जा रहा है. वहीं, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (SP) के नेताओं-कार्यकर्ताओं को इसका जवाब देने में मुश्किल आ रही है.
पता नहीं, कारण राजनीतिक था या कोई और…

भाजपा (BJP) ने अतरौली सीट (Atarauli Assembly Seat) से इस बार कल्याण सिंह (Kalyan Singh) के पौत्र संदीप सिंह को टिकट दिया है. वे 2017 में भी जीते थे. अब दूसरी बार लड़ रहे हैं. संदीप न्यूज18हिंदी (News18Hindi) से बातचीत में कहते हैं, ‘पता नहीं, कारण राजनीतिक था या कोई और. लेकिन अखिलेश नहीं बाबूजी को श्रद्धांजलि देने नहीं आए, यह सच है. जबकि बाबूजी का कद राजनीति से ऊपर था. इसीलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती (BSP Chief Mayawati) और अन्य दलों के कई नेता आए. लेकिन अखिलेश या उनके परिवार से कोई नहीं आया. बावजूद इसके कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव (Akhilesh Yadav) ने लंबे समय तक बाबूजी के साथ काम किया था.’

जाहिर है, भाजपा इस मसले को आगे ले जाने के मूड में है. इसीलिए उसने अखिलेश के न आने के मसले को लोध जाति के अपमान से जोड़ दिया है. क्योंकि इस पूरे इलाके में लोध (Lodh) जाति आबादी अच्छी खासी है और कल्याण सिंह (Kalyan Singh) खुद भी इसी वर्ग से ताल्लुक रखते थे. यहां मुस्लिम आबादी भी खूब है, जिसकी काट के लिए केंद्र की भाजपाई सरकार ने कल्याण सिंह को ऐन मौके पर ‘पद्मविभूषण’ सम्मान देने की घोषणा की है. क्योंकि कल्याण सिंह (Kalyan Singh) हिंदुत्व से जुड़े राममंदिर आंदोलन (Ram Manir Movement) के अगुवा नेता रहे हैं.

…लेकिन ट्वीट तो सबसे पहले अखिलेश ने ही किया था 

समाजवादी पार्टी (SP) ने भी हालांकि, भाजपा की रणनीति की काट के लिए ठीक-ठाक तैयारी की है. उसने अतरौली से वीरेश यादव को टिकट दिया है, जो 2012 में यह सीट जीत चुके हैं. क्षेत्र के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इतने कि उनके पिता ने 1962 में इसी सीट से कल्याण सिंह को भी पराजित कर दिया था. कल्याण सिंह (Kalyan Singh) से जुड़े भाजपा के भावनात्मक सवाल पर वे बस इतना कहते हैं, ‘यह बड़े नेताओं का मामला है. लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कल्याण सिंह के निधन पर सबसे ट्वीट कर श्रद्धांजलि देने वालों में अखिलेश शामिल थे. हमारी पार्टी के तमाम नेता यहां उन्हें श्रद्धांजलि देने आए थे क्योंकि हम सब उनका सम्मान करते हैं. वे बहुत बड़े नेता थे.’ इसके साथ ही अपनी जीत का भरोसा जताते हुए याद दिलाते हैं, ‘यह सीट सिर्फ कल्याण सिंह और उनके परिवार के पास ही नहीं, हमारे पास भी रही है.’

यहां 80:20 की परिभाषा भी नए तरीके से दी जा रही है

वीरेश बातचीत के दौरान भाजपाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के 80:20 फॉर्मूले का जिक्र करना भी नहीं भूलते. वे कहते हैं, ‘हम सच में 80:20 की लड़ाई ही लड़ रहे हैं. लेकिन इसमें 80% में वे लोग हैं, जिनके साथ सदियों से अन्याय हुआ है. दलित, गरीब, पिछड़े और मुस्लिम. जबकि 20% में भाजपा और उसका समर्थन करने वाले आते हैं. आप देखिएगा, इस 80% का पूरा समर्थन हमें मिलने वाला है.’ यहीं ध्यान दिला दें कि योगी आदित्यनाथ के 80:20 फॉर्मूले में 80 का मतलब बहुसंख्य हिंदू समुदाय से लगाया जाता है.

हालांकि अतरौली में भावना चलेगी या परिभाषा, ये अभी 10 फरवरी को तय हो जाएगा, जब यहां वोट (Voting) डाले जाएंगे. और 10 मार्च को पता भी चल जाएगा कि वास्तव में चला क्या, जब चुनाव नतीजे (Election Result) आएंगे.

Tags: Akhilesh yadav, Assembly Elections 2022, BJP, Hindi news, Kalyan Singh, Samajwadi party, UP Assembly Elections 2022

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