उत्तराखंड

पेगासस जासूसी साफ्टवेयर पर बढ़ता विवाद, विदेश मंत्रालय ने कहा- हमारे पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं

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नयी दिल्ली: पेगासस जासूसी साफ्टवेयर (Pegasus Spyware) के मुद्दे को लेकर कांग्रेस सड़क से सदन तक सरकार को घेर रही है. इस बीच पेगासस मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) की प्रतिक्रिया सामने आई है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि उसके पास पेगासस स्पाईवेयर विवाद से संबंधित कोई जानकारी नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, जिस कथित मामले का संदर्भ दिया गया है, उसकी जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक समिति द्वारा की जा रही है. इस मामले पर विदेश मंत्रालय के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मामले पर ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक हालिया रिपोर्ट से जुड़े सवालों के जवाब दे रहे थे. अमेरिकी समाचार पत्र ने अपनी खबर में दावा किया था कि 2017 में भारत और इजराइल के बीच हुए लगभग दो अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियारों एवं खुफिया उपकरणों के सौदे में पेगासस स्पाईवेयर तथा एक मिसाइल प्रणाली की खरीद मुख्य रूप से शामिल थी. अरिंदम बागची ने कहा कि, 2017 में प्रधान मंत्री की इज़राइल यात्रा के दौरान हुए MoU पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है.

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उच्चतम न्यायालय ने इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए भारतीय नागरिकों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए पिछले साल अक्टूबर में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था. कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के एक संगठन ने दावा किया था कि कई भारतीय नेताओं, मंत्रियों, सामाजिक
कार्यकर्ताओं, कारोबारियों और पत्रकारों के खिलाफ पेगासस का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया.

पेगासस जासूसी कांड पर कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है. बुधवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. वहीं गुरुवार को कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को अपने मंत्रियो, न्यायाधीशों और विपक्ष के नेताओं पर भरोसा नहीं है इसलिए उन पर नजर रखने के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया.

Tags: MEA, Pegasus spying issue, Rahul gadhi

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