उत्तराखंड

Gupt Navratri 2021 Navami: देवी मातंगी पूरी करती हैं मनोकामना, गुप्त नवरात्रि की नवमी को करें पूजा

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Gupt Navratri 2021 9th Day Worship Matangi Devi: आज गुप्त नवरात्रि की नवमी (Navami) तिथि पर भक्त मां मातंगी (Matangi Devi) की पूजा अर्चना कर रहे हैं. मातंगी देवी नवीं महाविद्या हैं. मातंगी देवी को प्रकृति की स्वामिनी देवी बताया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मातंगी देवी इंद्रजाल और जादू के प्रभाव को नष्ट करती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मातंगी माता को शिव की शक्ति बताया गया है. मतंग भगवान शिव (Lord Shiv) का नाम है. गृहस्थ जीवन को सुखमय बनाने, असुरों को मोहित करने और साधकों को इच्छित फल देने वाली देवी बताया गया है. मातंगी देवी को वचन, तंत्र और कला की देवी भी माना गया है. मां मातंगी ही समस्त देवियों में ऐसी हैं जिन्हें जूठन का भोग अर्पित किया जाता है और इन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत नहीं रखा जाता है. मान्यता है यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं.आइए जानते हैं मां मातंगी का स्वरुप, मंत्र और आरती…

देवी मातंगी का मंत्र:

स्फटिक की माला से बारह माला ‘ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:’ मंत्र का जाप कर सकते हैं . माता मातंगी के कुछ प्रसिद्ध नाम हैं- सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला, राज-मातंगी, कर्ण-मातंगी, चंड-मातंगी, वश्य-मातंगी, मातंगेश्वरी आदि.

देवी मातंगी का स्वरुप:

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवीं महाविद्या देवी मातंगी गहरे नीले रंग की हैं. देवी मातंगी मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती हैं. मां के 3 ओजपूर्ण नेत्र हैं. मां रत्नों से जड़े सिंहासन पर आसीन हैं. देवी मातंगी के एक हाथ में गुंजा के बीजों की माला है. देवी के दायें हाथों में वीणा तथा कपाल है तथा बायें हाथों में खड़ग है. देवी मातंगी अभय मुद्रा में हैं. देवी मातंगी के संग तोता भी है जो वाणी और वाचन का प्रतीक माना जाता है.

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देवी मातंगी की आरती:

आरती माँ मातंगी देवी जी की,

ओम जय मातंगी मा (2)

द्विजवर सुखकर सगी, धमांधुरा नदी

ओम जयो जयो मा मातंगी मा

विप्रमात तुं विष्णुशक्ति तुं द्विज्ज्न उध्धरती मा…(2)

दया द्रष्टि करी प्रीते (2) द्विकुल भय हरती… ओम

पंचावन पर स्वार, अष्टदश भुजधारी मा…(2)

आयुध चक्र गदादि (2) प्रभुमय बलधारी… ओम

निगम नीतिना वचन प्रमाणे, तुं मा धर्मतणी मा…(2)

धर्मारण्यनी देवी (2) धर्मधरा वरती… ओम

आर्यावर्तमां धर्म स्थापवा, अधर्मने पाप हरवा मा…(2)

सितापति श्री रामे (2) श्रेय सकल करवा… ओम

विष्णु विरंची शिवजी, तव अर्चन करता मा…(2)

धर्म विद्यात्री तुजने (2) स्थापी शुभ करता… ओम

शोभे सुंदर रूप, रत्न जडित पटथी मा…(2)

स्मित मुख कमले ज्योति (2) करूणा द्रष्टिथी… ओम

धर्मक्षेत्रनी अधिदेवी तुं मातंगी लक्ष्मी मा…(2)

हरि नीकटे नीत वसती (2) तुं साक्षात लक्ष्मी मा…(2)

हरिप्रिया तुं सत्य विभुति लक्ष्मीरूप धरा मा…(2)

तव पद गुर्जर पावन (2) दश दिश वसुंधरा… ओम

मोढेश्वरी तुं मोढ ज्ञातिनी काम दुधा माता मा…(2)

मोढवृक्षना शीशुनी (2) तुं सर्जक माता… ओम

त्रिगुणा तत्व मयी, चींतामणी फूलदा मा…(2)

धर्म क्षेत्र धर्मेश्वरी (2) धर्मधरा वरदा… ओम

यर्जु विधिथी पूजा, तुज विप्रो करता मा…(2)

साम रूचायो भणता (2) प्रसन्नता वरदा…ओम

आसुर विधि ने विप्र मा आरती जयकारीपूजन थाल ने विधि (2)

तुज पर वारी…ओम

मोढेश्वरीनी आरती जे कोई गाशे, मा जे भावे गाशे,

दु:ख दरिद्र पापहरता, जन्म सफल थाशे…ओम (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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