उत्तराखंड

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में इस समय 24 जिले बाढ़ (Flood) से प्रभावित हैं. और हैरानी की बात है कि जिन जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई वे इलाके भी बाढ़ के पानी में समां गए हैं. यूपी के बाढ़ ग्रस्त 24 जिलों में से 11 जिले कम बारिश वाले हैं. इस सवाल के जवाब से पहले कुछ आंकड़ों पर नज़र ज़रूरी है.

यूपी के 24 जिलों फतेहपुर, गोण्डा, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, गोरखपुर, बहराइच, गाज़ीपुर, चंदौली, आगरा, चित्रकूट, फर्रूखाबाद, कानपुर देहात, भदोही, कौशाम्बी, इटावा, वाराणसी, बलिया, हमीरपुर, बांदा, जालौन, प्रयागराज और मिर्जापुर में बाढ़ आई है. इन इलाकों की करीब 5 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित है. पहली नजर में लगता है कि इन जिलों में जमकर बरसात हुई होगी, लेकिन ऐसा नहीं है. इनमें से 11 जिलों फतेहपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर, गाज़ीपुर, चंदौली, आगरा, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात, कौशाम्बी, इटावा और जालौन में औसत से कम बारिश हुई है. चंदौली, फर्रुखाबाद और कानपुर देहात में तो औसत से 50 फीसद यानी आधी ही बारिश हुई है, फिर भी बाढ़ आ गई.

इसकी मुख्य वजह है नदियों का उफान. ये जरूरी नहीं कि यूपी से होकर बहने वाली नदियों में उफान तभी आएगा जब यूपी में भारी बारिश होगी. नेपाल, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान से होकर आने वाली नदियां भी तब उफनाने लगती है, जब इन प्रदेशों में भारी बारिश हो जाती है. पिछले एक हफ्ते में मध्य प्रदेश और राजस्थान में जमकर पानी गिरा है. ये सारा का सारा पानी गंगा और यमुना में बहकर यूपी में आ रहा है.

खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गाजीपुर में बाढ़ और राहत कार्यों का जायजा लेने के बाद कहा कि उत्तर प्रदेश के 24 जनपदों के 620 गांवों में बाढ़ का असर है. राजस्थान, हरियाणा, MP से अतिरिक्त जल छोड़े जाने से ये हालत हुई है.

सिंचाई विभाग में फ्लड कंट्रोल के इंजीनियर इन चीफ अशोक सिंह ने बताया कि सबसे ज्यादा पानी का स्तर राजस्थान और एमपी से आने वाली नदियों में दर्ज किया जा रहा है. इसी वजह से यमुना में पानी बढ़ गया है. यमुना प्रयागराज में गंगा से मिल जाती है. ऐसे में पहले से उफनती गंगा में पानी का स्तर और बढ़ गयाअब बनारस के आगे गंगा का जलस्तर बढ़ेगा. बाकी जगहों पर जलस्तर में कमी आने लगी है.

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