उत्तराखंड

उत्तराखंड : आपदा झेल चुके रैणी के विस्थापन की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की

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नैनीताल. रैणी गांव के पास ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट व विष्णुगाड़ पावर प्रोजेक्ट को बंद कराने को लेकर दाखिल याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस ने संग्राम सिंह समेत अन्य 5 याचिकाकर्ताओं पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए कोर्ट ने जुर्माने की धनराशि को अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बेंच ने कहा कि ये महत्पूर्ण प्रोजेक्ट हैं और इनको ऐसे ही बंद नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि ये बातें कहने के लिए कोई आधार होना चाहिए था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं पर भी सवाल उठाए और कहा कि कैसे मान लें कि आप सोशल वर्कर हैं? आपने समाज के लिए क्या किया है, इसका कोई जिक्र नहीं है!

रैणी गांव के विस्थापन की मांग…

दरअसल संग्राम सिंह समेत अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि ऋषिगंगा व विष्णुगाड़ पावर प्रोजेक्ट को बंद किया जाए. यह भी मांग की गई थी कि कोर्ट पर्यावरण संबंधी विभागों से मिली मंजूरी को भी खत्म करे. साथ ही, याचिका में इन प्रोजेक्ट से रैणी गांव को खतरा बताते हुए गांव को विस्थापित किए जाने की मांग भी की गई थी. याचिका में ऐसे प्रोजेक्टों से पर्यावरण, वाइल्डलाइफ, वन भूमि, पहाड़ आदि को खतरा होने और आपदा के लिए ज़िम्मेदार बताया गया था.

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बता दें कि इसी साल रैणी तपोवन में ग्लेशियर के टूटने से आपदा आई थी. इस दौरान सैकड़ों लोगों की मौत पावर प्रोजेक्ट में फंसने के चलते हो गई थी. हांलाकि ग्लेशियर के अध्ययन समेत अन्य मामलों को लेकर हाईकोर्ट एक और याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिस पर सरकार को अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखना है. तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि एनटीपीसी व उत्तराखण्ड राज्य के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं.

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