उत्तराखंड

अफगानिस्तान के हीरो से ‘भगोड़े विलेन’ कैसे बन गए पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी?

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नई दिल्ली. बीते रविवार को जब पूरा काबुल (Kabul) तालिबान की आमद से डरा हुआ था तब राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) देश छोड़ कर भाग निकले. बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात ने ऐलान किया कि गनी वहां पर हैं और उन्हें मानवता के आधार पर शरण दी गई है. एक फुलब्राइट स्कॉलर अशरफ गनी ने अमेरिका की कोलंबिया युनिवर्सिटी से पढ़ाई की और फिर वहां के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में पढ़ाया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और यूनाइटेड नेशंस में भी काम किया. बाद में उन्होंने एक किताब लिखी जो बेहद मशहूर हुई. इस किताब का नाम था- फिक्सिंग फेल्ड स्टेट्स.

गनी के अफगानिस्तान से भागने के बाद रूस ने दावा किया है कि वो अपने साथ चार कारों और एक हेलिकॉप्टर में कैश भरकर ले गए. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक गनी अब अफगानिस्तान में विलेन बन चुके हैं. देश के सेंट्रल बैंक चीफ ने खुलेआम गनी पर आरोप लगाए हैं. हालांकि गनी या फिर उनके नजदीकियों तक पहुंचने के अभी सारे प्रयास असफल रहे हैं.

पश्तून समुदाय से होने के बावजूद उन्हें बाहरी ही माना जाता रहा
अफगानिस्तान में गनी की राजनीति की बात करें तो ताकतवर पश्तून समुदाय से होने के बावजूद उन्हें बाहरी ही माना जाता रहा. वो अफगानिस्तान के विभिन्न समूहों में नजदीकी कायम करने में नाकाम रहे. धीरे-धीरे वो अकेले पड़ते गए. इस्लामिक स्टेट पर किताब लिखने वाले लेखक कबीर तनेजा के मुताबिक-या तो वो अफगान के वॉर लॉर्ड्स को समझ नहीं सके या फिर समझने की कोशिश नहीं की.

25 साल बाद 2001 में अफगानिस्तान वापस लौटे थे गनी
2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान में आक्रमण के बाद गनी अपने देश वापस लौटे थे. वो करीब 25 साल बाद अपने देश वापस लौटे थे. हामिद करजई की सरकार में वो वित्त मंत्री रहे. इसके बाद गनी अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों के चहेते बन गए. वो टेड एक्स पर बोलते और अंतरराष्ट्रीय अखबारों में आर्टिकल लिखते. एक वक्त वो संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के भी दावेदार माने जा रहे थे.

काबुल को तालिबान के हाथों छोड़ा, अब विलेन बन चुके हैं
2014 में वो देश के राष्ट्रपति बने. 2017 में एक इंटरव्यू में गनी ने कहा था-मैं दुनिया की सबसे बुरी नौकरी कर रहा हूं. लेकिन जैसे-जैसे वक्त आगे बढ़ता गया गनी अकेले पड़ते गए. बीते कुछ महीने से जब अमेरिकी सेनाएं जाने की तैयार करने लगीं तब भी गनी प्रशासन की तरफ से लोगों को पूरा भरोसा दिया जाता रहा. लेकिन ऐन वक्त पर गनी ने मोर्चा छोड़ दिया. तालिबान ने काबुल में आराम से कब्जा जमाया. कभी देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के काम लगे पॉपुलर अशरफ गनी अब विलेन बन चुके हैं.

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