कैसे पूरा होगा 2021 में सभी वयस्कों को कोरोना वैक्सीन देने का लक्ष्य? ये होंगी तीन बड़ी चुनौतियां
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पहला, भारत बायोटेक की उत्पादन क्षमता में इजाफा क्योंकि देश कोवैक्सीन के 48 करोड़ पर निर्भर है. दूसरा, बायोटेक-ई वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति क्योंकि सरकार 30 करोड़ डोज के लिए कंपनी पर निर्भर है. सरकार ने इस पर एडवांस के तौर पर 1500 करोड़ रुपये निवेश भी किए हैं. तीसरा, लोगों का वैक्सीन को लेकर झिझक छोड़ना और दिसंबर तक दोनों डोज हासिल कर लेना.
अनुमान लगाया जा रहा था कि जुलाई का टीकाकरण स्तर जून के करीब 12 करोड़ डोज की तरह ही होगा. हालांकि, 21 जून से लागू हुई नई नीति के बाद भी सप्लाई एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है और वैक्सीन को लेकर लोगों की झिझक भी बरकरार है. अगर यही स्थिति रही, तो देश की ज्यादातर वयस्क आबादी को साल के अंत तक पहला डोज लग सकेगा. जबकि, दूसरे डोज को लेकर काम जारी रहेगा.
कोवैक्सीन: एक रहस्य
भारत की वैक्सीन स्टोरी में अब तक मुख्य भूमिका कोविशील्ड ही निभाती हुई नजर आ रही है. देश में दिए गए 44 करोड़ डोज में से करीब 39 करोड़ कोविशील्ड के हैं. जबकि, कोवैक्सीन के मामले में यह आंकड़ा 5 करोड़ डोज से थोड़ा ज्यादा है. भारत बायोटेक को जुलाई के अंत तक 8 करोड़ वैक्सीन सप्लाई करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन कंपनी ने 16 जुलाई तक 5.45 करोड़ डोज की आपूर्ति की है. कंपनी ने सरकार को बताया था कि उनकी मौजूदा उत्पादन क्षमता केवल 2.5 करोड़ डोज प्रति माह की है. जिसे जल्द ही बढ़ाकर हर महीने 5.8 करोड़ डोज किया जाएगा.
अब सवाल है कि क्या यह काफी होगा? सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को दी गई जानकारी के हिसाब से ऐसा नहीं लगता. सरकार ने कोर्ट को बताया था कि वे अगस्त से दिसंबर के बीच कोवैक्सीन के 40 करोड़ डोज का अनुमान लगा रहे हैं. इसका मतलब है कि भारत बायोटेक को हर महीने 8 करोड़ डोज का उत्पादन करने की जरूरत होगी. हालांकि, फिलहाल कंपनी जुलाई तक 8 करोड़ डोज का पुराना ऑर्डर ही पूरा कर रही है. इसके बाद 16 जुलाई को केंद्र ने भारत बायोटेक को 28.5 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है, जिसकी शुरुआत अगस्त से हो रही है. बची हुई करीब 11.5 करोड़ कोवैक्सीन निजी क्षेत्र को दी जानी है.
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चौथी वैक्सीन
कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक V के बाद सरकार बहुत उत्सुकता से बायोलॉजिकल-ई की तरफ से मिलने वाली चौथी वैक्सीन का इंतजार कर रही है. हालांकि, कंपनी की तरफ से इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन (EUA) के लिए आवेदन किया जाना बाकी है. सरकार को उम्मीद है कि आवेदन अगस्त में दे दिया जाएगा. इसके अलावा सरकार ने ‘जोखिम के साथ’ उत्पादन शुरू करने के लिए बीते महीने कंपनी को 1500 करोड़ रुपये का एडवांस भी दे दिया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वे बायोलॉजिकल-ई से इस साल 30 करोड़ डोज का उम्मीद कर रहे हैं. संभावना जताई जा रही है कि यह आंकड़ा सरकार के 94 करोड़ वयस्कों को टीका देने के लक्ष्य को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा.
स्पूतनिक V का आयात भी देश में मामूली स्तर पर बना हुआ है और आयात के बाद देश में रूसी वैक्सीन के अब तक 4.23 लाख डोज ही दिए जा सके हैं. सरकार स्पूतनिक V के 10 करोड़ डोज की सप्लाई को लेकर स्थानीय उत्पादन पर भरोसा कर रही है, जो सितंबर से शुरू होकर दिसंबर तक चलेगा. इसके अलावा जायडस कैडिला ने ईयूए के लिए आवेदन कर दिया है और अगर अनुमति मिलती है, तो यह भी अक्टूबर तक मौजूदगी दर्ज करा सकती है. केंद्र कंपनी पर 5 करोड़ डोज के लिए निर्भर है.
सीरम इंस्टीट्यूट से भी 2021 में 90 करोड़ डोज की सप्लाई पूरी करने की उम्मीद की जा रही है. कंपनी ने अब तक 40 करोड़ डोज दे दिए हैं और अगले पांच महीनों में 50 करोड़ डोज का वादा कर रही है. कंपनी की उत्पादन क्षमता प्रतिमाह 11 करोड़ डोज की है.
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वैक्सीन को लेकर हिचक
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने माना है कि दिसंबर के अंत तक 94 करोड़ वयस्कों को टीका लगाने का लक्ष्य है. ऐसे में यह भी मुमकिन है कि हिचक के चलते कई लोग वैक्सीन लेने ना पहुंचें. एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज18 को बताया कि सरकार का लक्ष्य सभी ‘इच्छुक’ वयस्कों का टीकाकरण करना हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘कई महीनों तक पात्र रहने के बाद कई हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर एक या दो डोज के लिए नहीं आए. यह दिखाता है कि सभी वयस्कों का 100 फीसदी टीकाकरण चाहते हैं, लेकिन यह काम पूरा नहीं हो सकता. वरिष्ठ नागरिकों में भी कई ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक पहला डोज ही नहीं लिया है. हालांकि, 18-44 आयुवर्ग में वैक्सीन की मांग ज्यादा है.’
अगर यही स्थिति रही, तो देश की ज्यादातर वयस्क आबादी को दिसंबर के अंत तक पहला डोज लग सकेगा. जबकि, दूसरे डोज को लेकर काम जारी रहेगा. हाल ही में ग्रामीण इलाकों में आई टीकाकरण में तेजी ने सरकार को उत्साहित किया है कि दिसंबर के अंत तक लक्ष्य के बड़े हिस्से को पूरा किया जा सकता है.
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