उत्तराखंड

मुझे विश्वास है कि युवा पीढ़ी के प्रयासों से 2047 का भारत हर तरह के भेदभाव से मुक्त होगा : कोविंद

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लखनऊ: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को विश्वास व्यक्त किया कि आज की युवा पीढ़ी के प्रयासों से वर्ष 2047 का भारत हर तरह के भेदभाव से मुक्त एक विकसित देश के रूप में प्रतिष्ठित होगा. कोविंद ने कहा कि युवा पीढ़ी आजादी की शताब्दी तक हिंदुस्तान में समतामूलक समाज की स्थापना के काम में सभी नौजवान अभी से जुट जाएं.

राष्ट्रपति ने लखनऊ स्थित बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे विश्वास है कि आज की युवा पीढ़ी के प्रयासों से वर्ष 2047 का भारत हर प्रकार के भेदभाव से मुक्त होकर एक विकसित देश के रूप में प्रतिष्ठित होगा. भविष्य के भारत में न्याय, समता और बंधुत्व के संवैधानिक आदर्शों को हम पूरी तरह से अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में ढाल चुके होंगे.’

आत्मनिर्भर बनने का किया आह्वान

उन्होंने कहा, ‘हम एक समावेशी विश्व व्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा रहे होंगे. ऐसे समतामूलक और सशक्त भारत के निर्माण के लिए आप सबको आज से ही संकल्पबद्ध होकर जुटना है. मैं चाहूंगा कि आप सब भारत को विकास की ऐसी ऊंचाइयों पर लेकर जाएं जो हमारी कल्पना से भी बहुत ऊपर हो. यही बाबा साहब का सपना था और हम सबको मिलकर इसे पूरा करना होगा.’ कोविंद ने दीक्षांत समारोह में उपाधियां धारण करने वाले तमाम युवाओं से आत्मनिर्भर बनने का आह्वान करते हुए कहा कि ‘आप जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनें.’

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर कही ये बात

राष्ट्रपति ने कहा कि भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय बाबा साहब के विचारों के अनुरूप शिक्षा के माध्यम से अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के समावेशी विकास की दिशा में सराहनीय योगदान दे रहा है. उन्होंने कहा कि लगभग एक वर्ष पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारत को एक ‘शिक्षा महाशक्ति’ के रूप में स्थापित करने का अभियान शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति 21वीं सदी की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप आज की युवा पीढ़ी को सक्षम बनाने में सहायक सिद्ध होगी.

कोविंद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं. राष्ट्रपति ने बाबा साहब आंबेडकर के एक कथन का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ मनुष्य का शील भी सुधरना चाहिए. उन्होंने कहा कि शील के बगैर शिक्षा की कीमत शून्य है. उन्होंने कहा कि ज्ञान एक तलवार की तरह है और उसका सदुपयोग या दुरुपयोग करना उस व्यक्ति के शील पर निर्भर करता है.

राष्ट्रपति ने बाबा साहब के योगदान का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम सब जानते हैं कि विश्व के सबसे बड़े शिल्पकार होने के साथ-साथ बाबा साहब आंबेडकर ने बैंकिंग, सिंचाई, बिजली, श्रम प्रबंधन प्रणाली, राजस्व साझाकरण प्रणाली तथा शिक्षा आदि क्षेत्रों में मूलभूत योगदान दिया था. उन्होंने कहा कि वह एक शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, विधि वेत्ता, राजनेता, पत्रकार, समाज सुधारक तथा समाजशास्त्री तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म में भी अपना अमूल्य योगदान दिया.

देश की बेटियां ज्यादा नाम रोशन कर रही हैं

राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारे देश की बेटियां मुल्क का नाम बेटों से ज्यादा रोशन कर रही हैं. उन्होंने तोक्यो ओलंपिक में भारत की बेटियों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि चाहे खेल हो या पढ़ाई, समान अवसर मिलने पर हमारी बेटियां अक्सर हमारे बेटों से आगे निकल जाती हैं. उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण का बाबा साहब का सपना अब पूरा हो रहा है.

इस मौके पर स्नातक, परास्नातक, पीएचडी तथा एमफिल एवं अन्य पाठ्यक्रमों के 1424 छात्र-छात्राओं को उपाधि से सम्मानित किया गया. उनमें से छह को राष्ट्रपति ने स्वर्ण पदक प्रदान किये. राष्ट्रपति ने इस अवसर पर सावित्रीबाई फुले गर्ल्स हॉस्टल का शिलान्यास भी किया. कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.

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