चीन से सिर्फ 25 किमी दूर लद्दाख में IAF के अपाचे और चिनूक ने दिखाया अपना दम, देखें VIDEO
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नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक चीन के साथ जारी सीमा विवाद धीरे-धीरे सुलझता जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद भारत वहां अपनी तैयारियों में किसी तरह की कोई कमी नहीं रखना चाहता. यही वजह है कि समय-समय पर सेना वहां अपने हथियारों, लड़ाकू विमानों या फिर सामरिक दृष्टि से अहम प्रशिक्षण में हिस्सा लेता रहता है. इसी के मद्देनजर भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विशेष बलों ने रविवार को लगभग 13,500 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर से विशेष अभियान चलाने की क्षमता का प्रदर्शन किया.
इसके साथ ही लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे को भी जमीन से कम दूरी पर उड़ाकर इसका जायजा लिया गया. आईएएफ का अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर चीन के साथ सीमा से महज 25 किमी दूर न्योमा में स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड में से एक में अपनी कम उड़ान संचालन क्षमता का प्रदर्शन किया. आपको बता दें कि अपाचे लद्दाख क्षेत्र में पिछले साल मई-जून से काम कर रहे हैं.
#WATCH Nyoma ALG, Ladakh | IAF’s Apache attack helicopter showcases its low flying operational capability at one of the world’s highest advanced landing grounds merely 25 km from border with China. The Apaches have been operating in the Ladakh area since May-June last year pic.twitter.com/jDx3OlJXza
— ANI (@ANI) August 8, 2021
इस मौके पर ग्रुप कैप्टन अजय राठी ने कहा, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट होने के कारण न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) का सामरिक महत्व है. यह लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को पाटता है, जिससे पूर्वी लद्दाख में लोगों और सामग्री की त्वरित आवाजाही होती है.’ इसके साथ ही उन्होंने न्योमा में आईएएफ के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा, ‘न्योमा में हवाई संचालन बुनियादी ढांचा सैन्य बलों की परिचालन क्षमता को बढ़ाता है. यह पूर्वी लद्दाख की आबादी के लिए कनेक्टिविटी में भी सुधार करता है.’
पूर्वी लद्दाख में गोगरा बिंदु पर सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी
पूर्वी लद्दाख में गोगरा टकराव बिंदु पर करीब 15 महीनों तक आमने-सामने रहने के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है तथा जमीनी स्थिति को गतिरोध-पूर्व अवधि के समान बहाल कर दिया है. थल सेना ने बीते 6 अगस्त को इस घटनाक्रम की घोषणा करते हुए कहा था कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया चार और पांच अगस्त को की गई तथा दोनों पक्षों द्वारा निर्मित सभी अस्थायी ढांचों और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचों को नष्ट कर दिया गया है तथा परस्पर तरीके से उनका सत्यापन किया गया है.
थल सेना ने एक बयान में कहा था कि गश्त बिंदु (पेट्रोलिंग प्वाइंट)-17ए या गोगरा में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया 12 वें दौर की सैन्य वार्ता के नतीजों के अनुरूप की गई. यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में चुशुल-मोल्दो मीटिंग प्वॉइंट पर 31 जुलाई को हुई थी.
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